क्यों मरने से पुर्व गरुण पुराण का पाठ करना चाहिए? (Why one should recite Garuda Purana before dying)

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क्यों मरने से पुर्व गरुण पुराण का पाठ करना चाहिए? (Why one should recite Garuda Purana before dying)

हिन्दू धर्म को सृष्टि के निर्माण और मानुवता  की शुरुवात के समय का माना जाता हैं| दुनिया का सबसे पुराना धर्म होने के नाते सबसे अधिक धार्मिक ग्रन्थ भी इसी धर्म में पाए जाते हैं बात चाहे वेदो की हो या फिर गीता महाभारत या रामायण की इन सब में पूजनीय देवी देवताओ के अलग अलग रूपों और उनकी लीलाओ का वर्णन मिलता हैं| इन सभी लेखो में मनुष्य को जीने का सही मार्ग व अच्छे बुरे की शिक्षा दी गयी हैं |
हिन्दू धर्म में धार्मिक लेखो की बात हो और पुराणों का ज़िक्र न आये ये असम्भव हैं|
क्या आप जानते है की एक पुराण ऐसा भी है जिसको घर में रखने से या फिर उसे पढ़ने मात्र से ही जीवन में अशुभ घटनाये घटने लगती हैं|  ऐसा माना जाता है की यह पुराण जीवित व्यक्ति के लिए नहीं है इस पुराण का नाम है गरुण पुराण 


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क्यों मरने से पुर्व गरुण पुराण का पाठ करना चाहिए?

आज हम आपको बताएंगे की जब जीवित व्यक्ति गरुण पुराण को पढता, सुनता  या उसे अपने घर में रखता है तो इसका उसके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैं| 


गरुण पुराण वो पुराण है जिसमे भगवान विष्णु के वाहन पक्षीराज गरुण विष्णु जी से सवाल करते है और विष्णु जी सवंय उन सवालो का उत्तर देते हुये पक्षिराज की जिज्ञसा को समाप्त करते हैं| इसलिय गरुण पुराण में जो भी लिखा है वो स्वयं श्री हरी की वाणी है इसी कारण इसे वैष्णव पुराण भी कहा जाता हैं इसका मतलब गरुण पुराण को अशुभ कहने का मतलब है स्वयं विष्णु जी की वाणी का त्रिस्कार करना है और फिर कोई भी धार्मिक लेख अशुभ कैसे हो सकता है|
इसके अलावा गरुण पुराण में लिखा है की गरुण पुराण विद्या, यश व लक्ष्मी की प्राप्ति और रोगो को दूर करके सौन्दर्य प्रदान करने वाली है इस पुराण में यह भी लिखा है की जो मनुष्य किसी भी समय इस पुराण का पाठ करता है उसे सम्पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है| गरुण पुराण में लिखा है की जो मनुष्य श्रद्धा पूर्वक ध्यान लगाकर इसका पाठ करता है जो गरुण पुराण को सम्मान और सुदत्ता से अपने घर पर रखता है वह धर्मार्थी हो जाता हैं|
जिस मनुष्य के हाथ में गरुण पुराण होती है उसके हाथो में नीतियो का कोश होता है जो प्राणी इस पुराण का पाठ करता व सुनता है उसे भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है|
गरुण पुराण में लिखा है की यदि निःसंतान दम्पति विश्वास पूर्वक गरुण पुराण को सुनते है तो उन्हें सन्तान की प्राप्ति होती है अर्थात यह पुराण मर्त्यु से ही नहीं बल्कि जन्म से भी जोड़ी हैं
इस पुराण में यह भी बताया गया है इसके पाठ से विद्यार्थियों को विध्या, विजय की ईक्षा रखने वालो को विजय मिलती है व पापियों को पाप से मुक्ति प्राप्त होती हैं
इस पुराण में पक्षिराज गरुण के द्वारा कहा गया है की यह गरुण पुराण धन्य है और सबका कल्याण करने वाली है इस पुराण में यह भी बताया गया है की गरुण पुराण की मात्र एक श्लोक का पाठ भी अकाल मृत्यु को टालने की शक्ति रखता है इस पुराण  के मात्र आधे श्लोक से निश्चित ही दुष्ट शत्रु का नाश हो जाता है

गरुण पुराण के  लिए जहाँ लोगो में भय है लोग इसे पढ़ने से डरते है तो वही पक्षिराज गरुण कहते है गरुण पुराण के समान दूसरी और कोई पुराण है ही नहीं जैसे देवो में जनार्दन श्रेष्ठ है वैसे ही पुराणों में गरुण पुराण को श्रेष्ठ माना गया हैं|
गरुण पुराण में लिखा है यह पुराण बहुत ही पवित्र और पुण्यदायक है जो मनोकामनाओ को पूर्ण करने वाली है और हमें सदैव इसका श्रवण करना चाहिए| अर्थात इसे अशुभ कहना इस पुराण से भय करना और भगवान श्री हरी का अपमान करना हैं|  सिर्फ किसी की म्रत्यु होने पर इसका पाठ करना यह सब मन की बनायीं बाते है जो समय के साथ साथ फैलती गयी और इस गलती प्रचार ने ,मान्यता का रूप ले लिया|

गरुण पुराण में पक्षिराज ने ये भी कहा है की जो भी व्यक्ति अपने जीवन में इस पुराण का पाठ करता है वो मर्त्यु के बाद यम के मार्ग में सभी यातनाओं से मुक्त होकर स्वर्ग की और प्रस्थान करता हैं| पुराण में लिखी गयी इन सब बातो के बाद यह स्पष्ट हो जाता है  की इस पुराण का पाठ किसी भी जीवित व्यक्ति के द्वारा अगर किसी भी समय पर विधि विधान से किया जाए तो यह पुराण उसका जीवन सफल कर देती है इसलिए न तो ये पुराण अशुभ है और न ही हमें इससे भय करना चाहिए|
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क्यों गरुण पुराण का ही पाठ किसी की मृत्यु के बाद कराया जाता है 

गरुण पुराण दो भागो में विभाजित है जहाँ  पहले भाग में भगवन विष्णु के रूपो का वर्णन किया गया है वही दूसरे भाग में मृत्यु के बाद होने वाली क्रिआओं और श्राद आदि के महत्व और उनको सही तरीके से करने का ज्ञान भी मिलता है किसी भी व्यक्ति होने पर परिजनों के मन में जीवन और मरण को लेकर अलग अलग आशंकाय और प्रश्नो का जन्म होने लगता है जिनके जवाब केवल गरुण पुराण में मिलते है इसलिए किसी की मृत्यु के बाद गरुण पुराण का पाठ रखया जाता हैं|  इस पुराण के पाठ के बाद परिवारजन सभी क्रियाओ से संतुष्ट होकर जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा पाते हैं| 
इसका अर्थ यह बिलकुल भी नहीं की इस पुराण का पाठ किसी की मृत्यु के बाद ही किया जाना चाहिए इसके अलावा कभी नहीं | 
मृत्यु के बाद ही इसका पाठ किया जाना चाहिए इसको यह रूप दे दिया गया है की मृत्यु से पहले इसका पाठ नहीं करना चाहिए|  जो की सही नहीं है अतः मनुष्य को मरने से पुर्व गरुण पुराण का पाठ जरूर करना चाहिए|

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