कौन थी भगवान शिवजी की 5 पुत्रियाँ (Who were the 5 daughters of Lord Shiva)

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कौन थी भगवान शिवजी की 5 पुत्रियाँ (Who were the 5 daughters of Lord Shiva)

भारत और भारत के पास के ही अन्य देशो में शिवजी को देवों के देव महादेव और माता पार्वती को आदि शक्ति कहा जाता हैं और सावन मास को शिव जी का मास कहा जाता है और इस पूरे महीने लोग शिवजी की पूजा नियमपूर्वक करते है। काफी लोग यह जानते है की शिव जी के दो पुत्र है जिनके नाम कार्तिकेय और गणेश है।
लेकिन क्या आप जानते है की शिव जी के इसके अलावा 5 पुत्रियाँ भी थी।

आज हम आपको भगवान शिवजी की 5 बेटियों के बारे में बताएंगे कि आखिर कैसे हुआ भगवान शिव की 5 पुत्रियों का जन्म और कौन थी भगवान शिव की यह 5 पुत्रियाँ।

कौन थी भगवान शिवजी की 5 पुत्रियाँ (Who were the 5 daughters of Lord Shiva)

पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार एक बार महादेव और माता पार्वती मनुष्य रूप धारण कर जंगल में विचरण कर रहे थे रास्ते में उन्हें एक सरोवर दिखाई देता है  माता पार्वती द्वारा महादेव से आग्रह करने पर दोनों लोग सरोवर में जाकर जल क्रीड़ा करने लगते है उसी दौरान शिवजी का वीर्य स्खलन हो गया था तब शिवजी ने उस वीर्य को एक पत्ते पर निकालकर उस पत्ते को वही रखकर माता पार्वती के साथ वहाँ से चले जाते है।

जल क्रीड़ा में उत्पन्न उस वीर्य से पांच कन्याओं का जन्म हुआ ये कन्याएं मनुष्य रूप में जन्म ना लेकर सर्प रूप में जन्मी और इन कन्याओं के जन्म से माता पार्वती बिल्कुल अनजान थी ये बात माता पार्वती को नहीं पता थी कि शिवजी का उनके साथ जल क्रीड़ा करने के दौरान वीर्यस्खलन हो गया था जिससे पांच कन्याओं ने धरती पर जन्म भी के लिया था।

महादेव यह सब जानते थे कि ये पांच सर्प कन्या उनकी ही पुत्री है और सभी पिता अपनी पुत्रियों को अपने आंखो के सामने बड़ा होते देखना और उनके साथ रहना चाहते है लेकिन महादेव ऐसा नहीं कर सकते थे इसलिए अब वो रोजाना अकेले ही उसी जंगल के सरोवर में जाते और अपनी पाचों सर्प पुत्रियों के साथ खेलते और समय बिताते थे।

रोजाना महादेव को ऐसे चोरी छुपे उस जंगल के सरोवर में जाते देख माता पार्वती को महादेव पर शंका हुई तब अगले दिन महादेव फिर से जब सबसे छुपकर उसी जंगल के सरोवर में जाने लगे तभी माता पार्वती भी महादेव के पीछे पीछे चल दी महादेव को जंगल के सरोवर में उन नाग कन्याओं के साथ खेलता देख माता पार्वती को क्रोध आ गया और माता पार्वती उन नाग कन्याओं को मारना चाहा और जैसे ही माता पार्वती ने उन नाग कन्याओं को मारने के लिए अपना पैर आगे बढ़ाया तब महादेव में माता पार्वती को रोक दिया और कहा कि ये नाग कन्याएं तुम्हारी ही पुत्री है तुम इन नाग कन्याओं की माता हो यह सब सुनकर माता पार्वती को बड़ा आश्चर्य हुआ कि ये नाग कन्याएं मेरी पुत्रियां कैसे हो सकती है मैं इन नाग कन्याओं की माता कैसे हो सकती हूं तब शिवजी ने माता पार्वती को उन नाग कन्याओं के जन्म के बारे में पूरी बात बताई कि कैसे उस दिन जल में माता पार्वती के साथ क्रीड़ा करने  के दौरान उनका वीर्यस्खलन हो गया था और जिससे इन नाग पुत्रियों का जन्म हुआ इस कथा को सुनकर देवी पार्वती का क्रोध शांत हो गया और वो हसने लगी |
तब भगवान शिव जी ने उन नाग कन्याओं के नाम माता पार्वती को बताया उन कन्याओं के नाम ये थे 

  1. जया
  2. विषहर
  3. शामिलबारी
  4. देव
  5. दोतलि

भगवान शिवजी ने यह भी बताया कि जो भी मेरी इन पुत्रियों की सावन में पूजा करेगा उनको कभी भी सर्प भय नहीं सताएगा उनको और उनके परिवार के लोगों को सर्प से कभी भी कोई भी नुक़सान नहीं होगा यही कारन है की सावन में भगवान शिवजी की इन पांच कन्याओं की विशेष तौर पर पूजा कि जाती है। साथ ही लोग सावन में सापो को इसी कारण से मारते भी नहीं है। इसलिए कहा जाता है की सनातन धर्म में हर एक बात के पीछे एक कहानी अवश्य होती है।

दोस्तों अगर आपको हिन्दू होने पर गर्व है तो कमेंट में जय महाकाल अवश्य लिखे।

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