क्या है पद्मनाभ स्वामी मंदिर का रहस्य (What is the secrets of Padmanabhaswamy Temple)
भारत को कभी सोने को चिड़िया कहा जाता था और इस सोने की चिड़िया को लूटने के लिए समय – समय पर अंग्रेज़ो और मुस्लिम शासकों ने भारत के मंदिरों के खजाने को लुटा। इन शासकों में से एक था महमूद गजनवी। महमूद गजनवी कई बार भारत आकर यहाँ के मंदिरों से इतना खजाना लूट कर के ले गया था जिसका आंकलन भी नहीं लगाया का सकता लेकिन फिर भी अंग्रेज़ो और मुस्लिम शासकों द्वारा इतनी बार भारत का खजाना लूटे जाने के बाद भी भारत का खजाना खत्म ना हुआ और आज भी भारत को सोने की चिड़िया वाला देश कहा जाता हैं।
भारत में कई मंदिर है जिनका रहस्य आज तक कोई भी नहीं जान पाया है इन मंदिरो में काफी ज्यादा खजाना है इन मंदिरो में से एक मंदिर भारत का विशाल पद्मनाभ स्वामी मंदिर है जो कि दक्षिण भारत के केरल राज्य के तिरुवनंतपुरम में स्थित है ये मंदिर भारत के अमीर मंदिरों में से एक हैं इस मंदिर का जी्णोद्धार सन् 1785 में किया गया और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अंग्रेज़ो और मुस्लिम शासकों द्वारा भारत का खजाना इतनी बार लूटने के बाद भी इस मंदिर में इतना खजाना है जिससे सम्पूर्ण भारत की बिगड़ी अर्थ्यवस्थाओं को सुधारा जा सकता है और उस खजाने से पूरे भारत की गरीबी को खत्म भी किया जा सकता है इस मंदिर का खजाना हमारे कई राज्यों की अर्थवयवस्था से भी ज्यादा है इस मंदिर के खजाने से भारत में कई बड़े अनेक सुविधायों से युक्त अस्पताल खोले जा सकते और सम्पूर्ण भारत की सड़कों का निर्माण कर जवाहर लाल स्टेडियम जैसे कई स्टेडियम को बनाया जा सकता है।
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तो आज हम आपको दक्षिण प्रांत में स्थित पद्मनाभ स्वामी मंदिर के खजाने और उसके रहस्य के बारे में बताएंगे
यह मंदिर इस सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु जी का मंदिर है कहा जाता है कि इस मंदिर को 6वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया लेकिन कुछ लोग इस मंदिर के निर्माण को सोलवी शताब्दी का बताते है।
राजा मार्तण्ड वर्मा युद्ध में अपने राज्य के आस पास के राज्यों को जीत कर उससे अपनी अर्थ्यवस्था का निर्माण किया जिसमें सबसे ज्यादा स्वादिष्ट मसाले और गरम मसाले का व्यापार किया गया जिसमें सबसे ख़ास कली मिर्च थी जिसका सबसे अधिक उपयोग किया गया जिसको खरीदने के लिए बाहरी राज्यो से लोग आकर सोने और हीरे के जवाहरात देकर उन मसालों को लोग खरीदकर ले जाते थे उस व्यापार से राजा को बहुत फायदा हुआ और कुछ ही वर्षों में राजा मार्तण्ड वर्मा की मंदिर के खजाने और उनके मसाले के व्यापार की उपल्धियां इतनी बढ़ की विदेशो में भी उनके व्यापार की चर्चा होने लगी माना जाता है कि राजा मार्तण्ड वर्मा ने पुर्तगाली जहाजों और उनके खजाने पर भी कब्जा कर लिया अब राजा मार्तण्ड वर्मा के पास अपार धन इकट्ठा हो चुका था अब उस राजा मार्तण्ड वर्मा को उस खजाने कि चिंता सताने लगी फिर राजा मार्तण्ड वर्मा ने राजा के पद से मुक्त होकर अपने राज्य को दैवीय स्वीकृति दिलवाने के लिए खुद को भगवान विष्णु का आजीवन सेवक बना दिया उसके बाद राजा मार्तण्ड वर्मा के पास जितना भी खजाना था उसको धरती में नीचे गड़वा दिया और गुप्त द्वार बनवाकर मंदिर के चार दिवारी खिचवा दी गई और उस मंदिर के बीचों बीच में गर्भ गृह बनवाकर भगवान विष्णु जी की शेष नाग पर सोते हुए मूर्ति कि स्थापना कि गई।
सन 1790 में टीपू सुल्तान ने इस मंदिर पर कब्जा करने की सोची लेकिन उसे तिरुवनंतपुरम के कोच्चि में हार का सामना करना पड़ा भारत का ये भव्य मंदिर ऐतिहासिक मंदिरो में से एक है इस मंदिर के सुंदरता इसकी बाहरी बनी सात मंजिला पर बनी कारीगरी को देखकर पता चल जाता है इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में सिर्फ हिन्दू धर्म से जुड़े लोगों को ही प्रवेश मिलता हैं जिसके लिए पुरुषों को सफेद रंग की धोती और महिलाओ को साड़ी पहननी अनिवार्य होती है इस मंदिर की खूबसूरती और इस मंदिर की भव्यता भारत के ऐतिहासिक मंदिरो में गिनी जाती है।
इस मंदिर में कई ऐसे रहस्य है जिससे इस मंदिर के चर्चे विदेशो में भी होते है उसमे से एक रहस्य इस मंदिर का सातवां दरवाजा है जो आज तक पहेली बना हुआ है कहा जाता है इस मंदिर के इस दरवाजे को नागपाशम और नागबंधन के मंत्रों का प्रयोग कर बंद किया गया है।
अगर आपको इस मंदिर के ओर राज जानने है तो हमें कमेन्ट करके बताये।