क्यों चढ़ाया जाता है शनि देव को तेल (Kyu Chadaya Jata Hai Shani Dev Ko Tel)

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क्यों चढ़ाया जाता है शनि देव को तेल (Kyu Chadaya Jata Hai Shani Dev Ko Tel)

जैसा की हम सभी लोग जानते है कि हिन्दू धर्म में शनिवार शनि देव का दिन माना जाता है इस दिन लोग शनि देव के पास तेल का दिया जलाते है या उनके ऊपर तेल चढ़ाते है यह शनि देव पर तेल चढ़ाने की परम्परा काफी समय से चली आ रही है लेकिन क्या आप जानते है कि शनि देव पर तेल हनुमान जी के कारण ही चढ़ाया जाता है।
शास्त्रों में वर्णित एक कथा के अनुसार त्रेता युग में एक समय शनि को अपने बल और पराक्रम पर बहुत घमंड हो गया था। उस युग में हनुमानजी के बल और पराक्रम की कीर्ति चारों दिशाओं में फैली हुई थी। जब शनि देव को हनुमानजी के संबंध में जानकारी प्राप्त हुई तो शनि देव बजरंगबली से युद्ध करने के लिए निकल पड़े। हनुमानजी एक शांत स्थान पर अपने स्वामी श्रीराम की भक्ति में लीन बैठे थे, तभी वहां शनिदेव आ गए और उन्होंने बजरंग बली को युद्ध के लिए ललकारा।
युद्ध की ललकार सुनकर हनुमानजी ने शनिदेव को समझाने का प्रयास किया, लेकिन शनि देव नहीं माने और हनुमानजी को बार बार युद्ध के लिए आमंत्रित करने लगे। अंत में हनुमानजी भी युद्ध के लिए तैयार हो गए। दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ। और आखिरी में हनुमानजी ने शनि को बुरी तरह परास्त कर दिया।
युद्ध में हनुमानजी द्वारा किए गए प्रहारों से शनिदेव के पूरे शरीर में भयंकर पीड़ा हो रही थी। इस पीड़ा को दूर करने के लिए हनुमानजी ने शनि को तेल दिया। इस तेल को लगाते ही शनिदेव की समस्त पीड़ा दूर हो गई। तभी से शनिदेव को तेल अर्पित करने की परंपरा प्रारंभ हुई। तब से ही शनिदेव पर जो भी व्यक्ति तेल अर्पित करता है, उस व्यक्ति के जीवन की समस्त परेशानियां दूर हो जाती हैं और उस व्यक्ति का धन अभाव खत्म हो जाता है।

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क्यों चढ़ाया जाता है शनि देव को तेल (Kyu Chadaya Jata Hai Shani Dev Ko Tel)
एक अन्य कथा के अनुसार जब भगवान श्री राम की सेना ने सागर सेतु बांध लिया था, तब राक्षस इसे हानि न पहुंचा सकें, इसके लिए श्री राम ने पवनसुत हनुमान जी को उस सेतु की देखभाल की जिम्मेदारी सौपी थी। जब हनुमान जी शाम के समय अपने इष्टदेव श्री राम के ध्यान में मग्न थे, तभी सूर्य पुत्र शनि देव ने अपना काला कुरूप चेहरा बनाकर क्रोधपूर्ण कहा- हे वानर मैं देवताओ में सबसे शक्तिशाली शनि हूँ। सुना हैं, तुम बहुत बलशाली हो। आँखें खोलो और मेरे साथ युद्ध करो, मैं तुमसे युद्ध करना चाहता हूँ। इस पर हनुमानजी ने विनम्रतापूर्वक कहा- इस समय मैं अपने प्रभु श्री राम को याद कर रहा हूं। आप मेरी पूजा में विघन मत डालिए। आप मेरे आदरणीय है। कृपा करके आप यहा से चले जाइए।
जब शनि देव हनुमान जी की बात न मानकर लड़ने पर उतर आए, तब हनुमान जी ने शनि देव को अपनी पूंछ में लपेटना शुरू कर दिया। फिर उन्हे कसना प्रारंभ कर दिया शनि देव अपना पूरा जोर लगाने के बाद उस बंधन से मुक्त न होकर पीड़ा से व्याकुल होने लगे।  हनुमान ने फिर सेतु की परिक्रमा कर शनि के घमंड को तोड़ने के लिए पत्थरो पर अपनी पूंछ को झटका दे-दे कर पटकना शुरू कर दिया।  इससे शनि देव का शरीर लहुलुहान हो गया, जिससे उनकी पीड़ा बढ़ती गई। तब शनि देव ने हनुमान जी से प्रार्थना की कि मुझे इस बधंन मुक्त कर दीजिए। मैं अपने अपराध की सजा पा चुका हूँ, फिर कभी मुझसे ऐसी गलती नही होगी ! तब शनि देव को छोड़ने के बाद हनुमान जी ने शनि देव को जो तेल दिया, उसे घाव पर लगाते ही शनि देव की पीड़ा मिट गई।  उसी दिन से शनिदेव को तेल चढ़ाया जाता हैं, जिससे उनकी पीडा शांत हो जाती हैं और वे प्रसन्न हो जाते हैं।
क्योकि हनुमानजी की कृपा से शनि की पीड़ा शांत हुई थी, इसी वजह से आज भी शनि देव  हनुमानजी के भक्तों पर अपनी विशेष कृपा बनाए रखते हैं।

शनि को तेल अर्पित करते समय ध्यान रखें ये बाते

शनि देव की प्रतिमा को तेल चढ़ाने से पहले तेल में अपना चेहरा अवश्य देखें। ऐसा करने पर शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है। धन संबंधी कार्यों में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

शनि पर तेल चढ़ाने से जुड़ी वैज्ञानिक मान्यता 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारे शरीर के सभी अंगों में अलग-अलग ग्रहों का वास होता है। यानी अलग-अलग अंगों के कारक ग्रह अलग-अलग हैं। शनिदेव त्वचा, दांत, कान, हड्डियां और घुटनों के कारक ग्रह हैं। यदि कुंडली में शनि अशुभ हो तो इन अंगों से संबंधित परेशानियां व्यक्ति को झेलना पड़ती हैं। इन अंगों की विशेष देखभाल के लिए हर शनिवार तेल मालिश की जानी चाहिए।
शनि को तेल अर्पित करने का यही अर्थ है कि हम शनि देव से संबंधित अंगों पर भी तेल लगाएं, ताकि इन अंगों को पीड़ाओं से बचाया जा सके। मालिश करने के लिए सरसो के तेल का उपयोग करना श्रेष्ठ रहता है।
न्याय देवता शनि सदा,सच की रखते लाज।
यही गिराते हैं सदा ,झूठे जन पर गाज।।
!! जय शनिदेव !!

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