वशीकरण तंत्र प्रयोग कैसे कार्य करता है | Vashikaran kriya
वशीकरण क्या होता है
किसी को अपने प्रति या किसी अन्य के प्रति वशीभूत, अथवा वश में, अर्थात अधीन कर लेना या कर देना वशीकरण कहलाता है, चाहे वह देवता हो, मनुष्य हो या पशु-पक्षी | वशीकरण शारीरिक, मानसिक तरंगों पर आधारित एक प्रक्रिया है जो अपने एक निश्चित विज्ञान के आधार पर कार्य करता है, इसमें लक्ष्य किये गए व्यक्ति में मानसिक-शारीरिक-रासायनिक और तरंगीय परिवर्तन होने से उसकी रुचियो, स्वभाव, पसंद-नापसंद में परिवर्तन हो जाता है और वह प्रयोगकर्ता के अनुकूल हो उसके वशीभूत हो जाता है, हार्मोन्स-फेरोमिंस के प्रति आकर्षण परिवर्तित हो जाता है, अवचेतन मन प्रभावित हो जाता है, उसे प्रयोगकर्ता के साथ रहना, उसकी गंध, उसके कार्य, उसका स्वभाव इतना अच्छा लगने लगता है कि वह उससे दूर नहीं रहना चाहता और इस प्रकार वह प्रयोगकर्ता की सभी बाते मानने लगता है |
वशीकरण कार्यप्रणाली
इसकीकार्यप्रणाली तरंगों पर आधारित है, इसमें तांत्रिक वस्तुओ की ऊर्जा और तरंगों को मानसिक शक्ति और निश्चित भाव के साथ एक निश्चित लक्ष्य पर प्रक्षेपित किया जाता है | जब व्यक्ति विशेष के लिए प्रबल मानसिक बल से तरंगों और उर्जा का प्रक्षेपण किया जाता है तो यह लक्षित व्यक्ति के ऊर्जा परिपथ, मष्तिष्क और अवचेतन मन को प्रभावित करता है और वहा परिवर्तन होने लगता है|
वशीकरण तंत्र प्रयोग कैसे कार्य करता है
इसमें तंत्रिकीय वस्तुए ऊर्जा बढाने वाली, परिवर्तन करने वाली, वशीकरण की तीब्रता बढाने वाली और समय में शीघ्रता लाने वाली होती है | जबकि लक्ष्य के कपडे, बाल, चित्र या उपयोग की हुई वस्तुए उसके शरीर में तरंगों को पकड़ने और ग्रहण करने का माध्यम बन जाते है |
यहाँ मूल शक्ति प्रयोगकर्ता की मानसिक शक्ति होती है | मंत्र और हवनीय द्रव्य ऊर्जा उत्पन्न करने वाले, लक्ष्य पकड़ने वाले और कार्य से किसी ऊर्जा शक्ति को जोड़ने वाले होते है | वशीकरण केवल मंत्र से, मंत्र के साथ व्यक्ति की उपयोग की हुई वस्तुओ के प्रयोग के साथ, अथवा अभिमंत्रित वस्तु के खिलाने-पिलाने से भी हो सकता है|
सामान्यतया व्यक्ति जो भी खाता है वह पचाकर निकल जाता है, किन्तु जब किसी वस्तु विशेष को अभिमंत्रित करके खिलाया जाता है तो वह पचता नहीं [ यह विज्ञान के नियमों के प्रतिकूल हो सकता है और अभिमंत्रित खायी हुयी वस्तु पेट के किसी कोने में पड़ा रहता है, साथ ही उसका प्रभाव भी बना रहता है, जब तक की विशिष्ट तांत्रिक क्रिया से उस वस्तु को निकला न जाए | इस प्रकार व्यक्ति किसी अन्य के प्रति वशीभूत रहता है, कभी-कभी वह अपने स्वभाव, कुल-खानदान, परिवार से अलग भी किसी के वशीभूत हो सकता है, सबकी अवहेलना कर सकता है, क्योकि उसकी स्थिति ..दिल लगी दीवार से तो परी क्या चीज है वाली हुई हो सकती है, वह क्रिया के प्रभाव में हो सकता है |
तांत्रिक षट्कर्म
वशीकरण ऐसा तांत्रिक षट्कर्म है जिसका सदुपयोग और दुरुपयोग दोनों होता है, अपने किसी बिगड़े को सुधारने के लिए इसका उपयोग उचित कहा जा सकता है, पर किसी को स्वार्थवश वशीभूत करना दुरुपयोग है ,,जानकारों को इसपर विशेष ध्यान और सावधानी रखनी चाहिए |