अघोरियों के अनसुलझे रहस्य (Unresolved mystery of Aghoris)

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अघोरियों के अनसुलझे रहस्य (Unresolved mystery of Aghoris)

अघोरियों की अगर कल्पना की जाए तो शमशान में तंत्र क्रिया करने वाले साधुओ की तस्वीर दिमाग में आ जाती हैं अघोरियों साधु बहुत ही कम मौकों पर लोगो के सामने आते हैं आमतौर पर इन्हे ऐसे घूमते हुए नहीं देखा जाता या तो ये किसी तीर्थ स्थल पर या किसी शमशान घाट में बैठे मिलते हैं या फिर इन अघोरियों का पूरा का पूरा जत्था कुंभ के मेले में दिखाई पड़ता हैं। अघोरी वो साधु जिनकी जीवन शैली के रहस्य को हम जितना जानना चाहेंगे उतना ही अलग – अलग रहस्यों में हम उलझते चले जाएंगे।

तो आज हम आपको अघोरियों की जीवन शैली से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य बताएंगे जोकि हमारी समझ से बिल्कुल परे हैं।


अघोरियों के अनसुलझे रहस्य (Unresolved mystery of Aghoris)



अघोरी के बारे में सुनते ही हमारे दिमाग में प्रश्न आता है कि आखिर ये अघोरी होते कौन है और ये शिवजी कीं पूजा इतना क्यों करते है आखिर क्यों ये शिवजी कि तपस्या में इतना ज्यादा लीन रहते है।
अगर हम अघोरियों शब्द को समझने की कोशिश करे तो अघोर का मतलब ही अपने आप में सरलता होता है समझता होता है और प्रकाश होता है आखिरी शब्द का अर्थ ही है जिसमें अंधकार जैसा कुछ ना हो।
अघोरी वे होते है जो हमारे हिन्दू सनातन धर्म के अघोर पंत समुदाय से जुड़े हुए होते है और इस अघोर पंथ के नियमो से जुड़ कर अपना जीवन जीते हैं अघोर पंथ के देवता भगवान शिवजी को माना जाता है इसलिए जितने भी अघोरी होते है वे सब शमशान या किसी तीर्थ स्थल पर घाटों के किनारे ध्यान करते हुए पाए जाते हैं क्योंकि शमशान को शिवजी का स्थान माना जाता है वहीं शमशान में रहकर अघोरी अपनी तंत्र क्रियाएं करते है कभी खून से तो कभी मरे हुए मुर्दों से या जो व्यक्ति मर चुका हो उसकी खोपड़ी से ये अघोरी तंत्र क्रिया को पूरा करते है माना जाता है कि यदि कोई अघोरी किसी जीवित मनुष्य पर कोई तंत्र क्रियाएं करता है तो उस तंत्र क्रियाओं को कभी कोई नहीं काट सकता है ऐसा इसलिए क्योंकि तंत्र क्रिया का संबंध शिवजी से जुड़ा हुआ है और अघोरी शिवजी के बहुत बड़े उपासक होते है वह हमेशा शिवजी के ध्यान में लीन रहते है इसलिए अघोरियों द्वारा की हुयी तंत्र क्रिया बहुत ही शक्तिशाली होती हैं जिसका कोई तोड़ नहीं होता है।

अघोरियों का जिक्र पुराणों में भी मिलता है क्योंकि शिव स्रोत के अनुसार शिवजी के पांच चेहरे बताए गए है जिसमें से एक चहेरा अघोर का है इसलिए अघोरियों को शिवजी का ही अंश माना जाता है अघोरी वे होते है जो इस संसार की समस्त मोह माया से परे हमेशा शिवजी की तपस्या में लीन रहते है इनको संसार में किसी भी प्रकार के मोह माया से मतलब नहीं होता है ये सिर्फ अपनी तपस्या और अपनी तंत्र क्रिया में ही विलीन रहते है। अघोरी शमशान में इसलिए रहते है ताकि कोई भी मनुष्य इनकी साधना में विघ्न ना डाल सके जब मनुष्य आधी रात को सो रहे होते है। तब ये अघोरी चिता की राख से अपनी तपस्या पूर्ण करते है।

अघोरी शब्द का अर्थ तो बहुत ही सरल है जो सबकी समझ में आ जाता है लेकिन इनकी साधना सरल नहीं है क्योंकि इनका जीवन ही एक रहस्य है जो भी इन अघोरियों के जीवन के बारे में जानना चाहता वो इनके जीवन के बारे में जानते जानते इनमें उलझता ही चला जाता हैं।

अघोरी साधना तीन अलग अलग प्रकार की होती है

  1. शिव साधना 
  2. शव साधना
  3. शमशान साधना

यदि आप अघोरियों की इन तीनों साधना के बारे में जानना चाहते है तो हमें कॉमेंट करके बताए।

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