ब्राह्मणों को शराब क्यों नहीं पीनी चाहिए? (Why Brahmins should not drink alcohol)

ब्राह्मणों को शराब क्यों नहीं पीनी चाहिए? (Why Brahmins should not drink alcohol)

आज के इस कलयुग में ज़्यादातर प्रत्येक धर्म और वर्ग का व्यक्ति शराब का सेवन करता है शराब का सेवन हमें नहीं करना चाहिए इससे हमें काफी नुक्सान होता है लेकिन पूर्वकाल में महान गुरु शुक्राचार्य ने ब्राह्मण वर्ग को शराब न पीने की घोषणा कर दी थी और यह भी कहा था की अगर भविष्य में कोई भी ब्राह्मण शराब का सेवन करेगा तो उसे इसकी सजा मिलेगी|

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ब्राह्मणों को शराब क्यों नहीं पीनी चाहिए? (Why Brahmins should not drink alcohol)
ब्राह्मणों को शराब क्यों नहीं पीनी चाहिए? (Why Brahmins should not drink alcohol)

ब्राह्मणों को शराब क्यों नहीं पीनी चाहिए

इस कथन का वर्णन महाभारत ग्रन्थ में मिलता है जिस प्रकार देवताओ के गुरु बृहस्पतिदेव है उसी प्रकार राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य जी है शुक्राचार्य जी संजीवनी विद्या जानते थे जिस कारण देवताओ और असुरों के युद्ध में जो राक्षस मर जाते थे उन्हें शुक्राचार्य जी अपनी संजीवनी विद्या से पुनः जीवित कर दिया करते थे शुक्राचार्य की इस अदभुत शक्ति से देवता काफी परेशान हो गए थे| तब सभी देवता बृहस्पतिदेव के पुत्र कच के पास गए थे और उनसे शुक्राचार्य के पास जाकर संजीवनी विद्या सीखकर आने की प्रार्थना की देवताओ के कहने पर कच शुक्राचार्य जी पास जाकर उनके शिष्य बन गए थे|
जब राक्षसों ने देखा की कच उनके गुरु शुक्राचार्य के शिष्य हो गए तो वह समझ गए की कभी न कभी तो कच शुक्राचार्य से संजीवनी विद्या अवश्य ही सिख लेगा और यदि ऐसा हुआ तो देवता ओर भी ज्यादा ताकतवर हो जाएंगे|  यह सोचकर एक दिन राक्षसों ने बृहस्पतिदेव के पुत्र कच को मार डाला और उसकी लाश के टुकड़े करके जंगली जानवर को खिला दिया|
शुक्राचार्य की एक पुत्री थी जिसका नाम देवयानी था शुक्राचार्य अपनी पुत्री देवयानी को अपने से ज्यादा प्रेम करते थे देवयानी इतने दिनों में कच से प्रेम करने लगी थी इसलिए जब राक्षसों ने कच को मार डाला था तो वह अपने पिता शुक्राचार्य से बोली की वह कच के बिना जीवित नहीं रह सकती| यह सुनकर शुक्राचार्य जी ने अपनी संजीवनी विद्या से कच को जीवित कर दिया| राक्षसों ने कच को कई बार मारा लेकिन देवयानी के कारण शुक्राचार्य जी कच को हर बार जीवित कर देते थे|
तब राक्षसों ने एक युक्ति बनाई और इस बार राक्षसों ने कच को मारकर उसे आग में जला दिया और उसकी राख को शराब में मिलाकर शुक्राचार्य जी को ही पीला दिया इस बार भी देवयानी कच के लापता होने से बहुत परेशान हो गयी और अपने  पिता शुक्राचार्य से बोली अगर कच जीवित नहीं होगा तो वह भी अपने प्राण त्याग देगी तब अपनी पुत्री से विवश होकर जब शुक्राचार्य जी ने अपनी संजीवनी विद्या का प्रयोग करके कच को पुकारा तो कच उनके पेट के अंदर जीवित हो गया और उसने शुक्राचार्य जी को बोला की वह उनके पेट के अंदर है यह सुनकर शुक्राचार्य जी बुरी तरह से घबरा गए थे और उन्हें समझ नहीं आ रहा था की वह कच को अपने पेट से बाहर कैसे निकाले|
इस बात से शुक्राचार्य जी को उस समय बड़ा अफ़सोस हुआ था की उन्होंने धोखे से शराब के साथ कच की राख भी पीली थी इसलिए उन्होंने उस दिन यह घोषणा कर दी थी भविष्य में जो भी ब्राह्मण कभी भी शराब पीयेगा वह धर्मभृष्ट हो जाएगा इस लोक में तो वह कलंकित होगा ही उसका परलोक भी बिगड़ जाएगा साथ ही उस ब्राह्मण को ब्रह्महत्या भी लगेगी|
कच शुक्राचार्य के पेट के अंदर ही था उसे बाहर निकालने का जब शुक्राचार्य को कोई भी रास्ता नहीं मिला तब विवश होकर शुक्राचार्य जी ने उसे अपनी संजीवनी विद्या का ज्ञान कच को दिया और कच से बोला की अब तुम मेरा पेट फाड़कर बाहर आ जाओ और फिर इसी संजीवनी विद्या से मुझे पुनः जीवित कर देना| तब कच शुक्राचार्य जी का पेट फाड़कर बाहर आया तो पेट फटने के कारण शुक्राचार्य जी को मृत्यु हो गयी लेकिन कच ने शुक्राचार्य जी के पेट में सीखी संजीवनी विद्या से शुक्राचार्य जी को पुनः जीवित कर दिया|

शराब पीने से जीवन में काफी समस्या उत्पन्न होती है और ब्राह्मणो को ब्रह्महत्या जैसा पाप भी लगता है इसलिए किसी को भी शराब का सेवन नहीं करना चाहिए|
दोस्तों आपको क्या लगता है की क्या हमें शराब का सेवन करना चाहिए कमेन्ट करके बताएगा|

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