लंकापति रावण किसका अवतार थे? (Whose Avatar was Ravana)

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लंकापति रावण किसका अवतार थे? (Whose Avatar was Ravana)

रामायण में काफी घटनाएं बतायी गयी है और बहोत से घटनाये हम जानते भी है जैसा की हम सभी लोग जानते हैं कि प्रभु श्री राम भगवान विष्णु का अवतार थे और महाबली हनुमान जी स्वयं देवो के देव महादेव के अवतार थे लेकिन शायद ही कोई जानता होगा की रावण भी किसी का अवतार थे रावण और कुम्भकर्ण भगवान श्री हरी विष्णु के द्वारपाल जय और विजय का अवतार थे लेकिन ऋषिओ के श्राप के कारण उन्हें राक्षस यौनि में जन्म लेना पड़ा|
कहा जाता है कि रावण बहुत ही ज्यादा ज्ञानी ब्राह्मण राजा था लेकिन रावण में अनैतिकता और अधर्म भी कूट कूटकर भरा था लेंकिन यह रावण का एक अधूरा परिचय है| पुराण में हमें रावण के बारे में पूरा परिचय मिलता है|
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लंकापति रावण किसका अवतार थे? (Whose Avatar was Ravana)
लंकापति रावण किसका अवतार थे? (Whose Avatar was Ravana)

पौराणिक कथाओ की मान्यताओं के अनुसार एक बार सनक, संदन, सनातन और सनतकुमार भगवान विष्णु के दर्शन करने करने के लिए आये थे उस समय विष्णु जी के दो द्वारपाल जय और विजय पहरा दे रहे थे उन्होंने उन चारो को बहार ही रोक लिया और अंदर जाने से मना कर दिया|
अंदर जाने की अनुमति न मिलने पर चारो ऋषिगण क्रोधित हो गए और उन्होंने उसी समय जय और विजय को राक्षस बनने का श्राप दे दिया|
जय और विजय ने श्राप को सुनकर ऋषियों से माफ़ी मांगी और उनसे क्षमा याचना की और भगवान् विष्णु ने भी ऋषियों से उन्हें क्षमा करने का अनुरोध किया तब ऋषियों ने श्राप के प्रभाव को काम करने के लिए एक निष्कर्ष निकला जिसके अनुसार श्राप तो वापस नहीं लिया जा सकता था लेकिन जय और विजय को तीन जन्म राक्षस के रूप में लेने पड़ेंगे और ऋषियों ने यह भी बोला की अगर उनकी मृत्यु भगवान विष्णु या उनके किसी अवतार के हाथो होगी तो वह पुनः अपने स्वरुप को प्राप्त कर सकेंगे|

  • पुराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के यह द्वारपाल पहले जन्म में हिरण्याक्ष और हिरणकश्यप के रूप में जन्मे और भगवान विष्णु के क्रमशः वराह अवतार और नरसिह अवतार ने इन दोनों का वध कर दिया|
  • इसके बाद दूसरे जन्म में जय और विजय ने रावण और कुम्भकर्ण  के रूप में जन्म लिया जिनका भगवान विष्णु ने श्री राम अवतार में जन्म लेकर त्रेता युग में वध कर दिया|
  • इसके बाद तीसरे जन्म में इन दोनों ने शिशुपाल और दन्तवक्र के रूप में जन्म लिया और उस समय भगवान विष्णु के श्री कृष्ण अवतार का जन्म हुआ और श्री कृष्ण ने दोनों का वध कर उन्हें परमधाम पहुंचा दिया|

इस प्रकार दोनों द्वारपालों को राक्षस यौनि से मुक्ति प्राप्त हुयी|

दोस्तों कमेंट करके बताएगा अगर आपको इसके बारे में कुछ ओर पता हो|

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