ॐ:: ‘ओम’/ओ३म्‌ मंत्र का जाप करने के क्या फायदे हैं? | Power of Om

ॐ:: ‘ओम’/ओ३म्‌ मंत्र

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ब्रह्माण्ड में आकाशगंगाओं, ग्रह-नक्षत्रो, सौर मंडलों-की गतिशीलता के बीच एक दिव्य ध्वनि और तरंग की गूँज है जिसे ओम कहते हैं, किन्तु सभी लोग इसे सदैव नहीं सुन सकते, इस ध्वनि को हमारे तपस्वी और ऋषि – महर्षियों ने अपनी ध्यानावस्था में सुना, जो लगातार सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर भी और बाहर भी। हर कहीं, वही ध्वनि निरंतर जारी है | उन्होंने उस ध्वनि को नाम दिया ब्रह्मनाद अथवा ॐ कहा । यानी अंतरिक्ष में होने वाला मधुर गीत ‘ओ३म्‌’ ही अनादिकाल से अनन्त काल तक ब्रह्माण्ड में व्याप्त है। ओ३म्‌ की ध्वनि या नाद ब्रह्माण्ड में प्राकृतिक ऊर्जा के रूप में फैला हुआ है|
यह ईश्वरीय ऊर्जा है, सर्वत्र फैला, कण कण में व्याप्त सार्वभौम ऊर्जा, जो तरंगो के रूप में सर्वत्र विकरित है | इसीलिए इसे प्रणव भी कहा जाता है, यह सब जगह सम्पूर्णता देने में सक्षम है | ॐ अकेले हो या किसी शक्ति के साथ सर्वत्र ऊर्जा स्वरुप है |

‘ओम’/ओ३म्‌ उच्चारण के लाभ

ओ३म्‌ ध्वनि के उच्चारण से मानव शरीर को अनेक प्रकार के लाभ होते हैं और वह असीम सुख, शांति व आनन्द की अनुभूति करता है क्योकि ॐ उच्चारण से उसका संपर्क ब्रह्मांडीय उर्जा तरंगों से होता है | वैज्ञानिक प्रयोग इस सार्वभौम ध्वनि की शक्ति को प्रमाणित करते हैं, रोगियों के रोग बहुत कम होते पाया गया यद्यपि इनके प्रतिशत भिन्न रहे पर लाभ लगभग सबको होता है |

जब कोई मनुष्य ॐ का जाप करता है तो यह ध्वनि जुबां से न निकलकर ह्रदय से निकलती है | यही नहीं ॐ का उच्चारण पेट, सीने और मस्तिष्क में कम्पन पैदा करता है विभिन्न आवृतियो (तरंगों) और ‘ॐ’ ध्वनि के उतार चढ़ाव से पैदा होने वाली कम्पन क्रिया मृत कोशिकाओं तक को पुनर्जीवित कर देता है तथा नई कोशिकाओं का निर्माण करता है| कोशिका क्षय में कमी आती है, चिरायुता में वृद्धि होती है |जीवनी शक्ति, आत्मबल, आत्मविश्वास की वृद्धि होती है| रक्त विकार होने ही नहीं पाता। मस्तिष्क से लेकर नाक, गला, हृदय, पेट और पैर तक तीव्र तरंगों का संचार होता है। रक्त विकार दूर होता है और स्फुर्ती बनी रहती है।इसका लाभ उठाकर जीवन भर स्वस्थ रहा जा सकता है।

ॐ से जानलेवा बीमारी में लाभ

थोड़ी प्रार्थना और ॐ शब्द के उच्चारण से जानलेवा बीमारी एड्‌स के लक्षणों से राहत मिलती है तथा बांझपन के उपचार में दवा का काम करता है। इसके जप से सभी प्रकार रोगों में लाभ होता है। अतः यदि मनुष्य ॐ की चमत्कारिक ध्वनि का उच्चारण अटूट श्रद्धा व पूर्ण विश्वास के साथ करे तो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर जीवन को सार्थक कर सकता है। इसके जप से दुस्कर्मो और पापों के परिणाम से भी मुक्ति संभव है बशर्ते प्रायश्चित की भावना के साथ शरणागति अपने ईष्ट में आये | नशे से मुक्ति भी ‘ॐ’ के जप से प्राप्त की जा सकती है|

‘ओम’/ओ३म्‌ का जप ग्रहो से दोष का करता है

ऊँ की ध्वनि मानव शरीर के लिये प्रतिकुल सभी ध्वनियों को वातावरण से निष्प्रभावी बना देती है। विभिन्न ग्रहों से आने वाली अत्यंत घातक अल्ट्रावायलेट किरणों का प्रभाव ओम की ध्वनि की गुंज से समाप्त हो जाता है। मतलब बिना किसी विशेष उपाय के भी सिर्फ ओम् के जप से भी अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

ओ३म्‌ उच्चारण का शरीर पर प्रभाव

ऊँ का उच्चारण करने वाले के शरीर का विद्युत प्रवाह आदर्श स्तर पर पहुंच जाता है। नींद गहरी आने लगती है। साथ ही अनिद्रा की बीमारी से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है। मन शांत होने के साथ ही दिमाग तनाव मुक्त हो जाता है | अनेक बार ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है। ओम’/ओ३म्‌ का उच्चारण शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है। यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है। इससे पाचन शक्ति तेज़ होती है।
इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है। .थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।.नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चित नींद आएगी। .कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है। ॐ का उच्चारण करने से से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है। ॐ का उच्चारण करने से विभिन्न अन्तःश्रावी ग्रंथियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उनसे स्रावित होने वाले हारमोंस ,पाचक अथवा नियामक पदार्थों का स्राव नियमित होता है |यह सभी लाभ ॐ की ऊर्जा का ०.००१ % भी नहीं है ,यह वह शक्ति है जो भुक्ति-मुक्ति सब कुछ प्रदान कर सकती है ,इसकी शक्ति-क्षमता की कोई सीमा नहीं ,मनुष्य की कल्पनाओं से भी परे है |

‘ओम’/ओ३म्‌ एक सार्वभौम ऊर्जा

पूर्ण एकाग्रता के साथ ॐ का जप त्रिकाल दर्शिता प्रदान करता है | यह आज्ञाचक्र की शक्ति को इतना बढ़ा देता है की व्यक्ति भूत-भविष्य-वर्त्तमान में झाँक सकता है | यह निर्विकार अथवा साकार ईष्ट का साक्षात्कार कराता है | बिना किसी अन्य मंत्र के केवल ॐ का जप और किसी भी ईष्ट का भाव उस ईष्ट को साधक की और आकर्षित कर साक्षात्कार करा सकता है | यह वह सार्वभौम ऊर्जा है जो सबकुछ करने में सक्षम है|

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