क्यों लक्ष्मी और गणेश की पूजा साथ की जाती है (Why Lakshmi and Ganesha are worshiped together)
क्यों लक्ष्मी और गणेश की पूजा साथ की जाती है (Why Lakshmi and Ganesha are worshiped together)
जैसा की हम जानते है कि सनातन धर्म में जो देवियां विवाहित होती उनकी पूजा अकेले में ना करके उनके पति यानि देव के साथ में की जाती है जैसे देवों के देव महादेव और माता पार्वती और भगवान रामचन्द्र और देवी सीता की पूजा एक साथ की जाती है लेकिन जहां तक देखा गया है कि सिर्फ शिवजी और माता पार्वती और रामचन्द्र और सीता जी की ही पूजा साथ में कि जाती बाकी अन्य देवी देवताओं की पूजा जोड़े में ना करके अलग अलग की जाती है।
जब शिवजी पार्वती और राम सीता कि पूजा साथ में कि जा सकती तो ब्रह्मा जी और सरस्वती माता की पूजा और जगत पालनकर्ता और धन धान्य की देवी माता लक्ष्मी जी की पूजा साथ में क्यों नहीं की जाती आखिर ऐसा क्या कारण रहा की देवी लक्ष्मी जी की पूजा पार्वती पुत्र गणेश जी के साथ की जाती और जगत पालनकर्ता भगवान विष्णु जी की पूजा अकेले ही की जाती और विष्णुजी के दूसरे अवतार में भी उनकी पूजा उनकी पत्नी रुक्मणि के साथ ना करके राधा रानी के साथ की जाती है आखिर ऐसा क्यों होता है क्या ये किसी श्राप के कारण ऐसा होता या किसी और वजह से।
तो आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों देवी लक्ष्मी की पूजा उनके पति के साथ नहीं की जाती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि माता लक्ष्मी अपने पति भगवान विष्णु जी से इतना अधिक प्रेम करती है कि जब- जब भगवान विष्णु जी ने अवतार लिया है तब – तब माता लक्ष्मी ने उनके साथ या तो उनकी पत्नी बनकर या उनकी प्रेमिका बनकर अवतार लिया है पौराणिक कथाओं में ये भी लिखा है कि जब भी मां लक्ष्मी की कृपा पानी होती है तो उनके साथ साथ भगवान विष्णु जी की भी पूजा बेहद जरूरी है भगवान विष्णु जी की पूजा करने से मां लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती है ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि जब माता लक्ष्मी जी की पूजा तब तक पूरी नहीं होती जब तक भगवान विष्णु जी की पूजा ना की जाए तो हर साल दीपावली में फिर माता लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा क्यों की जाती क्यों आखिर विष्णु जी की पूजा नहीं की जाती।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का फल तो सब जानते ही होंगे सब कोई मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए उनकी पूजा पूरे विधि विधान से करता है वहीं गणेश जी को बुद्धि और विवेक का देवता कहा गया है गणेश जी की दो पत्नियां है रिद्धि और सिद्धि और दो ही पुत्र है शुभ और लाभ गणेश के यह दोनों पुत्र मां लक्ष्मी के साथ भी जुड़े हुए है क्योंकि लाभ के बिना लक्ष्मी का आगमन नहीं हो सकता और शुभ के साथ भी क्योंकि लाभ शुभ के साथ ही आता है और जब शुभ और लाभ से मां लक्ष्मी घर में आ जाती है तो उस लक्ष्मी को संभालने के लिए विवेक और बुद्धि की आश्यकता होती हैं कहा जाता है कि लक्ष्मी को एक जगह रोककर रखना संभव नहीं है इसलिए लक्ष्मी को रोक रखने के लिए बुद्धि और विवेक की आश्यकता होती जोकि गणेश जी से मिलती है इसलिए लक्ष्मी जी के साथ साथ गणेश जी भी पूजा होती है।
कहा यह भी जाता है कि गणेश जी को लक्ष्मी जी का मानस पुत्र माना गया है मानस संतान उसको कहा जाता जिसको इच्छा से प्राप्त किया जाता ना की किसी संभोग से प्राप्त किया जाता।
ऐसे में सवाल ये आता की गणेश तो माता पार्वती के पुत्र थे तो माँ लक्ष्मी के पुत्र कैसे हुए।
पुराणों की कथा के अनुसार एक बार विष्णुजी ने कहा की कोई भी नारी तभी सम्पूर्ण नारी मानी जाती जब वह मां बन जाती लेकिन लक्ष्मी जी की तो कोई संतान नहीं थी तो यह सुनकर लक्ष्मी माता पार्वती के पास गई और अपनी व्यथा सुनाई और सौभाग्य से माता पार्वती को दो पुत्रो की माता होने का सौभाग्य मिला माता लक्ष्मी की यह बाते सुनकर और उनकी यह हालत देखकर माता पार्वती ने कहा कि आज से गणेश को मैं तुमको सौपती हो आज से गणेश मेरा और तुम्हारा दोनों का पुत्र हुआ हालाकि माता पार्वती जानती थी कि लक्ष्मी कभी भी एक जगह नहीं टिक सकती लेकिन लक्ष्मी कि यह उदासी देखकर माता पार्वती ने गणेश को उनकी सौंप दिया तब माता लक्ष्मी ने कहा कि अब से मै गणेश का पूरा ख्याल रखूंगी और जब जब मेरी पूजा की जाएगी तब तब मेरे साथ गणेश कि भी पूजा की जाएगी मै कभी भी गणेश को अकेला नहीं छोडूंगी और क्योकि गणेश जी माता लक्ष्मी के भी मानस पुत्र थे इसलिए दीपावली पर गणेश लक्ष्मी की पूजा की जाती ना की विष्णु लक्ष्मी की पूजा की जाती है।