ब्रह्म पुराण क्या है? (What is Brahma Purana)

Advertisement
Advertisement

ब्रह्म पुराण क्या है? (What is Brahma Purana)

ब्रहम पुराण (Brahma Purana) को गणना की दृष्टि से 18 पुराणों में प्रथम माना जाता है। ब्रह्म पुराण में भगवान श्रीकृष्ण (Krishna) को ब्रहम स्वरूप माना गया है। ब्रह्म पुराण में भगवान श्री कृष्ण के चरित्र का निरूपण होने के कारण हि इस पुराण को ब्रह्मपुराण कहा जाता है।
ब्रह्मपुराण में कथा के प्रवक्ता स्वयं सृष्टि के रचयिता कहे जाने वाले ब्रह्मा जी हैं, और इस पुराण के श्रोता ऋषि मरीचि हैं। इस पुराण की प्रतिपादित विषय सूर्य की उपासना है। ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) ब्राह्मण है, तथा यह धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष को प्रदान करने वाला ग्रन्थ है। यह पुराण वेद तुल्य है। धर्म ग्रंथों के अनुसार ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) को जो भी मनुष्य श्रद्धा के साथ पढ़ते हैं, और इसकी कथा को सुनते है वह विष्णु लोक को प्राप्त करते हैं।

ब्रह्म पुराण क्या है? (What is Brahma Purana)
What is Brahma Purana

ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) को सबसे प्राचीन माना पुराण जाता है। ब्रह्मपुराण में 246 अध्याय, तथा इन में 14000 श्लोक हैं। इस पुरान में सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी के महानता के अतिरिक्त सृष्टि की उत्पत्ति, पृथ्वी पर गंगा का अवतरण तथा रामायण और कृष्ण अवतार की कथाओं का भी विवरण किया गया है। आप इस ग्रंथ से सृष्टि की उत्पत्ति से लेकर सिंधु घाटी की सभ्यता तक कि कुछ ना कुछ जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

इस पुराण में सृष्टि की उत्पत्ति कैसे हुई? और महाराज पृथु की की कथा वर्णित की गई है। राजा पृथु ने ही इस सृष्टि के आरंभ में पृथ्वी का दोहन करके अन्न आदि पदार्थों को पृथ्वी पर उत्पन्न कर, प्राणियों की रक्षा की थी। तभी  इस धरा (धरती) (Earth) का नाम पृथ्वी पड़ा। ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) के अनुसार जो मनुष्य परहित अर्थात दूसरे के लिए अपना सर्वस्व दान करता है उसे भगवान (God) के दर्शन अवश्य होते हैं।

एक कथा के अनुसार पर्वतराज हिमालय की पुत्री मां पार्वती भगवान शिव (Shiv) को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या कर रही थी। तभी उन्हें पास के सरोवर में डूब रहे एक बच्चे की करुण पुकार सुनाई पड़ी। जिसे  मां पार्वती बच्चे की करुण आवाज सुनकर बच्चे के पास पहुंची,तो देखा बच्चे का पैर ग्राह ने पकड़ रखा था। और बच्चा थर थर कांप रहा था। पार्वती जी ने ग्राह से विनती की कि वह बच्चे को छोड़ दे, तब ग्राह पार्वती जी से बोला कि भगवान ने मेरे आहार के लिए यह नियम बनाया है, की छठे के दिन जो भी तुम्हारे पास आए तो उसे खा लेना। और आज विधाता ने इसे स्वयं मेरे पास भेजा है, तो मैं अपने आहार को कैसे जाने दूं अतः मैं इस बच्चे को नहीं छोड़ सकता, नहीं तो मैं भूखा रह जाऊंगा।
तब पार्वती जी बोली कि ग्राह तुम बच्चे को छोड़ दो, बदले में मैं तुम्हें अपनी तपस्या का पूरा पुण्य दे दूंगी। पार्वती जी की यह बात सुनकर ग्राह मान गया। और उसने बच्चे को छोड़ दीया। मां पार्वती ने संकल्प कर अपनी पूरी जिंदगी भर की तपस्या का पुण्य उस ग्राह को दे दी। मां पार्वती की पूरी तपस्या का पुण्य फल ग्राह पाते ही ग्राह का शरीर सूर्य के समान तेजस्वी हो गया। और वह कहने लगा की देवी तुम अपनी तपस्या का पुण्य फल वापस ले लो मैं तुम्हारे कहने पर ही इस बालक को छोड़ देता हूं। लेकिन मां पार्वती ने इस बात से इंकार कर दिया। बच्चे को बचा कर मां पार्वती बड़ी खुश और संतुष्ट थी। मां पार्वती पुनः अपने आश्रम आकर अपनी तपस्या में बैठ गई। तभी पार्वती जी के सामने भगवान शिव शंकर प्रकट हो गए। और कहने लगे हे देवी तुम्हें अब तपस्या करने की आवश्यकता नहीं है। तुमने जो अपने तपस्या का पुन्य फल ग्राह को दिया था। वह तुमने मुझे ही अर्पित की थी। जिसका फल अब अनंत गुना हो गया है। (What is Brahma Purana)

ब्रह्मपुराण सुनने का फल:

जो भी व्यक्ति भगवान श्री हरि विष्णु के चरणों में मन लगाकर ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) की कथा को सुनता है उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। और वह इस लोक में सुखों को भोग कर मरने के बाद स्वर्ग में भी दिव्य सुखों का अनुभव करता है। तत्पश्चात अंत में साधक को भगवान विष्णु के निर्मल पद प्राप्त होते हैं। ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) सभी वर्णों के लोग पढ़ सकते हैं। और इसका कथा का स्रवण कर सकते हैं। यह पुराण वेद तुल्य है। ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) को पढ़ने से मनुष्य को आयु,कृति,धन,धर्म,विद्या की प्राप्ति होती है। इसलिए संसार के हर मनुष्य को अपने जीवन में एक बार इस गोपनीय पुराण को पढ़ना या इसकी कथा अवश्य ही सुननी चाहिए।

ब्रह्मपुराण करवाने का मुहूर्त:

ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) कथा करवाने के लिए सर्वप्रथम विद्वान ब्राह्मणों से उत्तम मुहूर्त निकलवाना चाहिए इस पुराण के लिए श्रावण-भाद्रपद, आश्विन, अगहन, माघ, फाल्गुन, बैशाख और ज्येष्ठ मास शुभ माना जाता है। लेकिन विद्वान ब्राह्मणों के अनुसार जिस दिन ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) की कथा प्रारंभ की जाए वही शुभ मुहूर्त है।

ब्रह्मपुराण का आयोजन कहां करें:

श्री ब्रह्मा पुराण (Brahma Purana) करवाने के लिए अत्यधिक पवित्र स्थान होना चाहिए। विद्वानों के अनुसार जन्म भूमि में ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) करवाने का विशेष महत्व बताया गया है। इसके अतिरिक्त तीर्थ स्थल पर भी ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) की कथा का आयोजन कर आप उसका फल प्राप्त कर सकते हैं। फिर भी मन को जहां संतोष पहुंचे उसी स्थान पर कथा सुनने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

ब्रह्म पुराण करने के नियम:

ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) का वक्ता विद्वान ब्राह्मण होना चाहिए। जिसे शास्त्रों और वेदों की बहुत अच्छी जानकारी हो। ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) में सभी ब्राह्मण सदाचारी और अच्छे आचरण वाले हो। वह हर दिन संध्या वंदन और प्रतिदिन गायत्री जाप करते हो। इस कथा को करवाने में ब्राह्मण और यजमान दोनों 7 दिनों तक उपवास रखें। केवल एक ही समय भोजन ग्रहण करें। भोजन शुद्ध शाकाहारी होना चाहिए। अगर स्वास्थ्य खराब हो तो भोजन कर सकते हैं।

Leave a Comment