मनुष्य भूत-प्रेत से क्यों डरते हैं | Why do humans fear ghosts
भूत-प्रेत से डर
भूत का नाम सुनते ही अचानक ही एक अजीब सी भयानक आकृति हमारे दिमाग में आने लगती है और मन में डर आने लगता है। हम अपने दैनिक जीवन में कहीं न कहीं हम भूत-प्रेत का नाम अवश्य सुनते हैं। कुछ लोग भूतों को देखने का दावा भी करते हैं जबकि कुछ इसे कोरी अफवाह मानते हैं। भूतो से जुड़ी कई मान्यताएं व अफवाएं भी हमारे समाज में प्रचलित हैं। दुनिया के लगभग हर धर्म में भूत-प्रेतों के बारे में कुछ न कुछ बताया गया है |
क्या भूत होते हैं?
अब सवाल ये उठता है कि अगर वाकई में भूत-प्रेत होते हैं तो ये हमें दिखाई क्यों नहीं देते? धर्म ग्रंथों के अनुसार जीवित मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना होता है-पृथ्वी, जल, वायु, आकाश व अग्नि। मानव शरीर में सबसे अधिक मात्रा पृथ्वी तत्व की होती है और यह तत्व ठोस होता है इसलिए मानव शरीर आसानी से दिखाई देता है। जबकि भूत-प्रेतों का शरीर में वायु तत्व की अधिकता होती है। वायु तत्व को देखना मनुष्य के लिए संभव नहीं है क्योंकि वह गैस रूप में होता है इसलिए इसे केवल आभास किया जा सकता है देखा नहीं जा सकता। हिँदू धर्म के अनुसार यह तभी संभव है जब किसी व्यक्ति के राक्षस गण होँ या फिर उसकी कुंडली में किसी प्रकार का दोष हो। इसके अलावा मानसिक रूप से कमजोर लोगों को भी भूत-प्रेत दिखाई देते हैं जबकि अन्य लोग इन्हें नहीं देख पाते।
भूत का अर्थ क्या है?
धर्म शास्त्रों के अनुसार भूत का अर्थ है बीता हुआ समय। दूसरे अर्थों में मृत्यु के बाद और नए जन्म होने के पहले के बीच में अमिट वासनाओं के कारण मन के स्तर पर फंसे हुए जीवात्मा को ही भूत कहते हैं। जीवात्मा अपने पंच तत्वों से बने हुए शरीर को छोडऩे के बाद अंतिम संस्कार से लेकर पिंड दान आदि क्रियाएं पूर्ण होने तक जिस अवस्था में रहती है, वह प्रेत योनी कहलाती है। प्रत्येक नकारात्मक व्यक्ति की तरह भी भूत भी अंधेरे और सुनसान स्थानों पर निवास करते हैं। खाली पड़े मकान, खंडहर, वृक्ष व कुए, बावड़ी आदि में भी भूत निवास कर सकते हैं।
भूत-प्रेत का असर
हमें कई बार ऐसा सुनने में आता है कि किसी व्यक्ति के ऊपर भूत-प्रेत का असर है। ऐसा सभी लोगों के साथ नहीं होता क्योंकि जिन लोगों पर भूत-प्रेत का प्रभाव होता है उनकी कुंडली में कुछ विशेष योग बनते हैं जिनके कारण उनके साथ यह समस्या होती है। साथ ही यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा नीच का हो या दोषपूर्ण स्थिति में हो तो ऐसे व्यक्ति पर भी भूत-प्रेत का असर सबसे ज्यादा होता है। भूत या प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्ति की आंखें स्थिर, अधमुंदी और लाल रहती है। शरीर का तापमान सामान्य से अधिक होता है। हाथ-पैर के नाखून काले पडऩे के साथ ही ऐसे व्यक्ति की भूख, नींद या तो बहुत कम हो जाती है या बहुत अधिक। स्वभाव में क्रोध, जिद और उग्रता आ जाती है। शरीर से बदबूदार पसीना आता है|
क्या भूत-प्रेत को देखना भी संभव है
चूंकि भूत-प्रेत का भौतिक शरीर नहीं होता और इन्हें हमेशा देखना भी संभव नहीं होता | छोटी शक्तियों के भूत-प्रेत खुद को दिखा भी नहीं सकते ,बड़ी शक्तियों के भूत -प्रेत खुद को दिखाने की क्षमता भी कभी कभी रखते हैं | चुकी ये अचानक कही सामने आ सकते हैं, कहीं भी आ जा सकते हैं, मनुष्य को प्रभावित कर सकते हैं,अक्सर नुकसान अथवा पीड़ा ही पहुचाते हैं इसलिए इनसे डर लगता है | अगर आत्मबल मजबूत हो और साहस हो तो यह ऐसे व्यक्ति से दूर रहते हैं, कमजोर ह्रदय और पतले रक्त प्रकृति वालों को यह अधिक प्रभावित करते हैं | यद्यपि अगर यह शक्तिशाली हों तो चाहने पर किसी को प्रभावित कर सकते हैं ,यह इनकी श्रेणी और शक्ति पर निर्भर करता है