कब और कैसे हुई थी वेदों की उत्पत्ति? (When and How Vedas Originated)
कब और कैसे हुई थी वेदों की उत्पत्ति? (When and How Vedas Originated)
जैसा की हम सभी जानते है कि वेदों का हमारे हिन्दू सनातन धर्म में बहुत ही महत्व है ।हिन्दू धर्म में चार वेद है यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद और ऋग्वेद जिसमे सबसे प्राचीनतम वेद ग्रंथ यजुर्वेद है यजुर्वेद वेद में ही गायत्री मंत्र के शब्दों का उल्लेख मिलता है।
सनातन धर्म में सभी वेदों की पुष्टि की गई है और यह भी बताया भी गया है कि वेदों का ज्ञान होना कितना आवश्यक है वेदों में आवश्यक और शास्त्रियों भाषा का भंडार है वेदों में कहानियां और कथाएं नहीं है बल्कि ज्ञान भरा हुआ है जैसे यज्ञो में किस मंत्र का उपयोग कब और कहां किया जाए और दुनिया भर में कितनी प्रकार की जड़ीबूटियां है और उन जड़ी बूटियों का प्रयोग कहां और किस रोग के इलाज में किया जाए इस तरह का ज्ञान वेदों में दिया गया है।
वेद का शाब्दिक अर्थ ही ज्ञान होता है। आम भाषा के प्रयोग में कहा जाए तो जैसे गीता, कुरान, बाइबल ईश्वर वाणी है ठीक उसी प्रकार वेद देवताओं द्वारा दिया गया ज्ञान है।
आज हम आपको बताएंगे को वेदों की उत्पत्ति कैसे हुई और सृष्टि में इनकी रचना कैसे हुई तथा आखिर किसमे इतना ज्ञान था जिसने वेदों की रचना की।
वेदों की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के द्वारा हुई क्योंकि वेदों का ज्ञान देवो के देव महादेव ने ब्रह्माजी को दिया था और ब्रह्माजी ने यह ज्ञान चार ऋषि को दिया था जिन्होंने वेदों की रचना की। ये ऋषि ब्रह्माजी का ही अंश उनके पुत्र थे इनका नाम अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा था। इन चार ऋषियों ने तपस्या कर वेदों का ज्ञान प्राप्त किया था और इन चार ऋषियों का जिक्र शतपथ ब्राह्मण और मनुस्मृति में भी मिलता है। शतपथ ब्राह्मण और मनुस्मृति में बताया गया है कि अग्नि, वायु और आदित्य ने क्रमशः यजुर्वेद, सामवेद और ऋग्वेद ने किया जबकि अथर्ववेद का समबन्ध अंगिरा से है अथर्ववेद की रचना अंगिरा ने की।
कहा जाता हैं कि मनुशोक धरती पर आने से पहले इन वेदों की रचना हो चुकी थी लेकिन कुछ मतो का मानना है कि ये चारो वेद एक ही थे लेकिन वेदव्यास ने इसी एक वेद से से चारो वेदों की रचना की लेकिन ये बात सत्य नहीं है क्योकि मस्तस्य पुराण में बताया गया है कि ये चार वेद शुरुवात से ही अलग थे इन वेदों के साथ चारो ऋषियों का नाम भी जुड़ा हुआ है।
वेदव्यास का वेदों में क्या योगदान था और आखिर कैसे उनका नाम कृष्णद्वैपायन व्यास से वेदव्यास पड़ा।
पौराणिक कथाओं में यह बताया गया है की एक समय के लिए सौ साल का अकाल आ गया था जिसमें बहुत से ग्रंथ असंगठित हो गए थे तब वेदव्यास ने दुबारा इन वेदों और पुराणों को एक साथ संगठित किया था जब वेदव्यास इन वेदों को संगठित कर रहे थे तो उन्होंने इनको आसान बनाने के लिए भागो में बांट दिया जैसे कविता संविता और मंडल में बांट दिया था वेदव्यास वेदों को संगठित करने वाले है ना कि इनकी रचना करने वाले वेदों कि रचना तो ब्रह्मा के चार पुत्रो द्वारा हुई थी।
चार वेदों में क्या – क्या दिया हुआ है?
- ऋग्वेद में देवताओं के आवाहन के मंत्र दिए हुए है जिसमें प्रार्थना स्तुतियां देवलोक कि स्थिति जल, वायु, हवा द्वारा चिकित्सीय पद्धतियां दी हुई है।
- यजुर्वेद में यज्ञ की विधि यज्ञ में उपयोग किए जाने वाले मंत्र ब्रह्माण्ड, ईश्वर और आत्मा के बारे में ज्ञान दिया गया है।
- सामवेद को सभी वेदों का मुलसार माना जाता है सामवेद में ऐसे मंत्र है जिनके ज्ञान से रोगों को ठीक किया जा सकता है।
- अथर्ववेद में मोक्ष को प्राप्त करने का रास्ता, आयुर्वेद का ज्ञान और किस तरह से भी बुद्धि का विकास किया जाए बताया गया है।
वेदों में इतना अधिक ज्ञान भरा हुए है कि जो रचनाए वेदों के कई सालो बाद हुई उसका जिक्र भी हमारे सनातन धर्म के वेदों में पहले से ही था।
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Sanatan Dharm
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तथ्यात्मक जानकारी दें,कि चारों वेद पहले आएं या श्रीमद् भागवत गीता।
pehle Veda aaya uske bad Gita
Ved pahle Aaye The Shrimad Bhagwat Geeta bad mein aaiae Kyunki Ved Srishti ki Aarambh mein Main Brahman ke Shri Mukh Se Nikala Hua Gyan hai lekin Shrimad Bhagwat Geeta Srishti ke bad se a Bhagwan Shri Krishna dwara Diya gaya