शिवजी के 6 रहस्मयी अवतार (ShivJi Ke 6 Rahasyamayee Avatar)
शिवजी के 6 रहस्मयी अवतार (ShivJi Ke 6 Rahasyamayee Avatar)
जैसा की हम सभी लोग जानते है कि सावन का पवित्र मास देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस मास के शुरुवात के एक दिन पहले पड़ने वाली देवशयनी एकादशी में विष्णु जी चार माह के लिए योग निंद्रा में चले जाते है और इस मास से ही पूरी सृष्टि महादेव को अर्पित हो जाती है।
महादेव जिन्हे इस सृष्टि का संघारक भी कहा जाता है और जिन्होंने इस सृष्टि को असुरो और राक्षसों से बचाने के लिए काफी बार अवतार भी लिया है महादेव के अवतारों का वर्णन शिवपुराण व अनेको शास्त्रों में मिलता है लेकिन शिवपुराण में शिवजी के 19 अवतारों का वर्णन किया गया है जिसमें से शिवजी के 6 रहस्मयी अवतारों के बारे आज हम आपको बताएगे। ये वो 6 अवतार है जिसमें शिवजी ने कभी रौद्र रूप धारण कर असुरो और राक्षस का सर्वनाश किया तो कभी किसी जानवर का रूप धारण कर श्रृष्टि के कल्याण के लिए युग का आरंभ किया था ।
शिवजी के 6 रहस्मयी अवतार (ShivJi Ke 6 Rahasyamayee Avatar)
वीरभद्र अवतार (Virabhadra Avatar)
यह अवतार शिवजी ने तब धारण किया था जब शिवजी की पत्नी माता सती ने अपने पिता जी द्वारा करवाए गए यज्ञ में अपने पति शिवजी के अपमान होने के कारण माता सती ने उसी यज्ञ में खुद की आहुति दे दी थी क्योंकि को अपने पति महादेव का अपमान ना सह सकी थी और यहा सुनने के बाद महादेव ने क्रोधित होकर अपने सर से एक जटा निकालकर वहीं पटक दी और उस जटा ने वीरभद्र का अवतार धारण किया था और शिवजी ने वीरभद्र को यह आदेश दिया था कि जाकर दक्ष और उसके यज्ञ का नाश कर दे।
नंदी अवतार (Nandi Avatar)
शिलाद मुनि एक ब्रह्मचारी थे उनके वंश को समाप्त होते देख उनके पितरों ने उनसे अनुरोध किया कि वो अपने अंश के पुत्र को धरती पर लाए तब शिलाद मुनि ने अमर पुत्र की कामना से भगवान शिव की तपस्या करना आरंभ कर दिया मुनि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिवजी ने उन्हें वरदान की तुम्हारे घर में मेरे अंश का पुत्र जन्म लेगा एक दिन शिलाद मुनि अपने खेत में हल जोत रहे थे तभी उनको जुताई करते समय एक पुत्र मिला जिसका नाम नंदी पड़ा।
भैरव अवतार (Bhairava Avatar)
भैरव अवतार को भगवान शिवजी का पूर्ण अवतार बताया जाता है क्योंकि एक बार भगवान ब्रम्हा और विष्णु जी में खुद को श्रेष्ठ कहने में एक वार्ता हुई तभी एक वहां दिव्य अग्नि उत्पन्न हुई उस अग्नि में एक पुरुष आकृति दिखाई पड़ी उस आकृति को देख भगवान ब्रम्हा जी ने कहा तुम मेरे पुत्र हो और मेरी शरण में आओ ये सुनकर शिवजी अत्यंत क्रोधित हुए और कहा कि काल की भांति क्रोधित होने के कारण आप खुद ही काल राज है भेशद होने के कारण आप खुद ही भैरेव है। इसी तरह से भगवान शिव के वरदान के कारण भैरव का जन्म हुआ और उसने अपने एक नाखून से ब्रम्हा का पाचवा सिर को जोकि अहंकार का प्रतिक था उसको काट दिया।
अश्वत्थामा अवतार (Ashwatthama Avatar)
महाभारत के अनुसार पांडवो के गुरु द्रोाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा भगवान शिव के अवतार थे द्रोणाचार्य ने भगवान शिव को पुत्र के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी और भगवान शिव ने उनको वरदान दिया था कि वे उन्हें घर में उनके पुत्र के रूप में अवश्य जन्म लेंगे और इसी वरदान के कारण द्रोणाचार्य के घर एक पुत्र का जन्म हुआ और उसका नाम अश्वत्थामा पड़ा कहा यह भी जाता है कि अश्वत्थामा को भगवान कृष्णा ने श्राप दिया था जिसके कारण वो आज भी जीवित हैं।
ऋषिदुर्वासा अवतार (Durvasa Avatar)
सती अनुसूया और उनके पति महर्षि अत्रि ने भगवान ब्रम्हा के आदेशानुसार कहलोल पर्वत पर दोनों पति पत्नी ने मिलकर भगवान शिवजी की तपस्या की और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर तीनों देवों ने उन्हें अपने अपने अंश के पुत्र का वरदान दिया ब्रह्मा जी के सोम, विष्णु के दत्तात्रेय और शिवजी के मुनि दुर्वासा ने जन्म लिया।
किरात अवतार (Kirat Avatar)
इस अवतार में भगवान शिवजी ने अर्जुन को परीक्षा ली थी महाभारत के दौरान जब अर्जुन एक जंगल में भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतू उनकी तपस्या में लीन थे तभी उनके शत्रु दुर्योधन के द्वारा भेजा गया मूल नामक दूत ने सूअर का रूप धारण कर अर्जुन के समक्ष पहुंचा उस दूत को देखकर अर्जुन ने अपने धनुष बाण से उस पर प्रहार किया उसी समय भगवान शिवजी ने भी किरात का रूप धारण करके अपने धनुष बाण से उस मूल नमक सूअर पर प्रहार किया इस प्रहार के कारण अर्जुन भगवान शिव को पहचान ना पाया और दोनों में बहस शुरू हो गई और फिर अर्जुन ने भगवान शिवजी से युद्ध आरंभ कर दिया।
अर्जुन की वीरता को देख कर भगवान शिव अपने असली रूप में अर्जुन के सामने आए और अर्जुन को महाभारत युद्ध में जीतने का वरदान दिया।
दोस्तों अगर आप लोगो को भगवान शिव के बचे 13 अवतारों के बारे में जानना है तो हमें कमेंट करके बताये।
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