महामृत्युंजय मंत्र की सावधानियां, नियम और सम्भावित हानियाँ | Mahamrityunjay Mantra

महामृत्युंजय मंत्र की सावधानियां

सामान्य रूप से जब किसी को कोई संकट आता है, कोई विपत्ति दिखती है, कोई ख़तरा लगता है तो आजकल यह सामान्य धारणा बन गयी है कि बस महामृत्युंजय मंत्र का जप करो या हनुमान चालीसा बजरंग बाण का पाठ करो और सब संकटों, कष्टों, विपत्तियों से मुक्ति मिल जायेगी | यह है भी बिलकुल सच |
अक्सर कष्ट, संकट, विपत्ति, ख़तरा में हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और महामृत्युंजय ही याद आते हैं | ज्योतिषियों, पंडितों द्वारा सबसे अधिक बताया जाने वाला उपाय भी महामृत्युंजय ही है और सबसे अधिक लोग इसी का अनुष्ठान भी कराते हैं | जब अनुष्ठान कराते हैं तब तो यह पंडितों द्वारा किया जाता है और सामान्य सावधानियां आपको बता दी जाती हैं जबकि मुख्य सावधानियां खुद पंडित लोग रखते हैं | किन्तु जब आप अपने जीवन चर्या में खुद महामृत्युंजय का जप कर रहे हों तब क्या -क्या और कितनी सावधानियां रखनी चाहिए यह अक्सर लोग ध्यान नहीं रखते और हलके में लेकर जप करते हैं | जिससे या तो पूरा परिणाम नहीं मिलता या अपरोक्ष रूप से क्षति होती है जिसे भाग्य का दोष मानकर भुगत लेते हैं |

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महामृत्युंजय मंत्र जप में पवित्रता

हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान मंत्र, बगलामुखी मंत्र, गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय जैसे पाठ और जप बहुत अधिक पवित्रता और नियमों के पालन की मांग करते हैं | आप यदि बिना नियम के और दैनिक जीवन जीते हुए इनका पाठ और जप कर रहे हैं तो आप बहुत बड़े रिष्क पर हो जाते हैं, ओर आप बड़ा खतरा उठाते हैं |
महामृत्युंजय मन्त्र सामान्य शिव मंत्र नहीं हैं, जो आपका जीवन मृत्यु से बचा सकता है अगर वह या उसकी ऊर्जा विपरीत हो जाय या उसमे विक्षेप आ जाय तो आपके लिए यह बड़ा खतरा भी बन जाता है | इसे आप मजाक न समझे और आजकल के झोला छाप पंडितों, ज्योतिषियों के कहने पर बिना नियम और सावधानी के इसे जपने न लगें | इतना ही आसान होते यह प्राण रक्षक उपाय तो कोई भी अकाल मौत न मरता, सभी अपनी आयु पूर्ण कर लेते |

क्यों मंत्र जप में गलती नहीं होनी चाहिए ?

जब भी कोई मंत्र जप किया जा रहा है तो आप मान लीजिये की यह तकनिकी क्रिया है ब्रह्मांडीय ऊर्जा सूत्रों के अनुसार | मंत्र नाद और भाव से जुड़े होते हैं जिनसे एक विशेष प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न होती है और यह शरीर से उत्पन्न ऊर्जा ब्रह्मांड में उपस्थित समान ऊर्जा को आकर्षित कर मन की भावनाओं तथा संकल्प के अनुसार जुडकर लाभ देती है | यहाँ मात्र भावना का कोई महत्त्व नहीं होता और यहाँ मुंह से क्षमा मांगने का भी कोई अर्थ नहीं बनता | आ रही ऊर्जा या उत्पन्न हो रही शक्ति में विक्षेप हुआ अथवा शरीर, भाव, वातावरण अनुकूल न हुआ तो विकृति होती है जिससे क्षति भी सम्भव होती है| इनका सीधा प्रभाव मष्तिष्क और शारीरिक कार्यप्रणाली पर पड़ता है अतः इनमे गलतियाँ नहीं होनी चाहिए क्योंकि यहाँ क्षमा करने को कोई मनुष्य नहीं होता |

यदि यह सावधानी और नियम से किये जाय तो किसी की जान बचा भी सकते हैं और त्रुटी हो जाय तो उसकी भी जान ले सकते हैं जिसके लिए किया जा रहा और खुद के लिए भी ख़तरा उत्पन्न करते हैं | अतः इन्हें हलके में न लें और जब तक नियम और सावधानी न पता हो इन्हें न जपें | कम से कम कोई नई दिक्कत तो नहीं उत्पन्न होगी |

महामृत्युंजय मंत्र पाठ में हानि

जिसके लिए महामृत्युंजय मंत्र का पाठ किया जा रहा उसके माता -पिता, भाई -बहन और पत्नी -पुत्र -पुत्री तक से नियमों की अनदेखी होने पर दुस्परिणाम सामने आते हैं | इसमें जिसके लिए जप किया जा रहा उसे तो खतरा बढ़ता ही है जप करने वाले पंडितों अथवा मुख्य पंडित की भी हानि की सम्भावना होती है| इस स्थिति में जबकि परिवार के लोगों की गलती से दुष्परिणाम मिलते हैं तो जो जप कर रहा उससे गलतियाँ हों तो कितने बड़े खतरे उत्पन्न हो सकते हैं अनुमान लगा सकते हैं | किसी के लिए मात्र महामृत्युंजय कवच भी बनाते हैं तो सभी नियमों का उतने दिनों तक पालन करना होता है जब तक वह अभिमंत्रित होता है | ऐसा नहीं होता की मात्र भोजपत्र पर रेखाएं खिची और यन्त्र /कवच तैयार | यहाँ तक सभी नियमों का पालन करना होता है |

महामृत्युंजय मंत्र जप के नियम

हम आपको सामान्य सावधानियां और नियम बता रहे हैं जिनका पालन आपको हनुमान, बगलामुखी के पाठों और महामृत्युंजय आदि में अवश्य करनी चाहिये | बिना इन नियमों को जाने -समझे आपको यह पाठ नहीं करने चाहिए |
सबसे प्रथम शर्त तो आप सभी जानते हैं और अधिकतर लोग पालन करने की भी कोशिश करते हैं, वह है ब्रह्मचर्य का पालन |यह शर्त इसलिए रखी जाती है क्योंकि इससे दो लाभ तुरंत होते हैं | पहला की दो तीन दिन ब्रह्मचर्य का पालन करने पर मन भोग की ओर से कम होने लगता है और उसकी बार बार भोग की ओर भागने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगता है, दूसरा लाभ यह होता है की ऊर्जा शरीर की इकठ्ठा होकर संघनित होने लगती है जिससे शरीर को तो बल मिलता ही है सम्बन्धित चक्र पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है जिससे सूक्ष्म शरीर को बल मिलता है | यही कारण है की कोई भी जप, अनुष्ठान हो सबसे पहले ब्रह्मचर्य के पालन का नियम होता है |
महामृत्युंजय के विशेष अनुष्ठान में जबकि प्राण बचाने के लिए यह किया जा रहा हो, पंडितों के साथ मूल व्यक्ति और नजदीकी सम्बन्धित व्यक्तियों तक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, क्योंकि ब्रह्मचर्य का दुआ, आशीर्वाद और आध्यात्मिक कामना से गहरा सम्बन्ध होता है |

संकल्प क्यों जरूरी है

अब एक नियम का पालन आपको और करना चाहिए जबकि आप व्यक्तिगत रूप से जप कर रहे हों अपने लिए या किसी अन्य के लिए | अनुष्ठान में तो पंडित जी लोग संकल्प कराते हैं और खुद भी लेते हैं किन्तु घर में खुद जप करते समय अक्सर आप संकल्प नहीं लेते, इससे आपका जप लक्ष्यहीन हो जाता है, आपने तीर तो चलाया पर दिशा नहीं दी जिससे लक्ष्य पूर्णता में कमी आती है अतः संकल्प मंत्र संख्या और दिनों की लेने के साथ ही अपनी मनोकामना व्यक्त करना आवश्यक हो जाता है |
यदि आपको संस्कृत में संकल्प लेना नहीं आता तो आप शुद्ध हिंदी में अपना नाम, पिता नाम, गोत्र आदि के साथ, दिन, तिथि व्यक्त करते हुए निश्चित दिनों तक निश्चित संख्या का जप विशेष उद्देश्य जो भी हो व्यक्त करते हुए संकल्प लें | संकल्प के समय हाथ में जल, अक्षत, पुष्प और द्रव्य रखें | जप के अवधि में आपका ध्यान उस व्यक्ति की स्वस्थता की कामना की ओर होना चाहिये जिसके लिए जप किया जा रहा | आपका ध्यान भटककर पारिवारिक अथवा अन्य प्रपंचों की ओर नहीं होना चाहिए इससे भी पूर्ण फल नहीं मिलता है |

जप में कैसा खान पान करे ?

महामृत्युंजय मंत्र अथवा हनुमान की उपासना में सबसे आवश्यक तत्व खान पान अर्थात आहार विहार के नियंत्रण का होता है | इनमे किसी भी स्थिति में मांस -मदिरा -अंडा, लहसुन -प्याज का परित्याग होना चाहिए | महामृत्युजय में तो साबुन, शैम्पू, सरसों तेल, बाजारू बने हुए भोज्य पदार्थ, किसी भी दुसरे के घर के बने भोज्य पदार्थ, खाट शयन तक का परित्याग करना चाहिए | इस अवधि में जब तक की रोज का महामृत्युंजय जप पूर्ण न हो जाय अन्न न खाया जाय अपितु फलाहार पर रहा जाय, रात्री में अथवा जप पूर्णता पर लहसुन -प्याज -सरसों तेल के उपयोग बिना बना हुआ भोज्य ही ग्रहण किया जाय
महामृत्युंजय में यह सावधानी भी होनी चाहिए की रक्त सम्बन्धी जो लोग अति नजदीकी हों वह भी मांस -मदिरा -अंडे आदि का परित्याग करें जैसे भाई -बहन, पति -पत्नी, माता -पिता, पुत्र -पुत्री आदि | आप जप अवधि में ध्यान दें की आप अशुद्ध स्थान पर न बैठें, न लेटें | आप ऐसे अस्पताल आदि जाने से बचें जहाँ मृत्यु होती हो | मात्र स्वयं का स्वस्थ्य खराब होने पर ही जाएँ और घर आकर शुद्ध होकर ही दैनिक कार्य करें | आप ऐसी जगहों या रिश्तेदारियों में जाने से बचें जहाँ किसी की मृत्यु हुई हो अथवा किसी का जन्म हुआ हो १२ दिन के अन्दर | अगर जाना आवश्यक हो तो वहां कुछ भी खाएं पियें नहीं ,न ही मृतक और सम्बन्धित लोगों अथवा जन्मस्थ शिशु – उसकी माता को छुएं | इन सब बातों का महामृत्युंजय मंत्र, बगलामुखी आदि की साधनाओं में बचाव आवश्यक होता है |

जप के दौरान क्या न करे?

प्रतिदिन जप समाप्ति और अतिम दिन जप समाप्ति पर जप का समर्पण करते हुए अपनी कामना व्यक्त करें | आप जप के समय तो स्वच्छ रहते ही हैं आपको दिन में भी अधिकतम स्वच्छता और पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि कोई भी ऊर्जा आपसे मात्र जप के समय नहीं जुडती वह आपसे जब जुडती है तो पूरे समय के लिए जुडती है अतः उस ऊर्जा के अनुकूल आपका आचरण होना चाहिए |
आप इन उपासनाओं के समय या जपों के समय गाली -गलौच, असत्य भाषण, मिथ्या भाषण, अनर्गल प्रलाप, दुष्ट संगत, किसी को कष्ट देने का कार्य, रिश्वतखोरी, किसी का अहित नहीं कर सकते | यदि इन सामान्य सावधानियों और नियमों का पालन आप अपने हनुमान उपासना अथवा महामृत्युंजय जप में करते हैं तो आपके लाभ की भी सम्भावना बढ़ जाती है और किसी क्षति की भी सम्भावना कम हो जाती है | नियम तो बहुत से हैं किन्तु इतनी सावधानियां अति आवश्यक हैं इन साधनाओं में और उपासनाओं में अतः ध्यान रखें |

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