CAB क्या है? (What is CAB?)
CAB क्या है? (What is CAB?)
CAB क्या है?: आज कल भारत में CAB (Citizenship Amendment Bill) यानि नागरिकता संशोधन बिल लेकर माहौल बहुत गर्म है। देश का ऐसा कोई राज्य (State) अथवा गांव (Village) नहीं है, जहां इस Bill की चर्चा न हो रही हो।
इस बिल का जगह जगह विरोध (Protest) किया जा रहा है। इसका कारण यह है, कि देश (Country)
CAB (Citizenship Amendment Bill) को कुछ दिन पहले देश की लोकसभा में पास किया गया था। जिसे अब राज्यसभा में भी पास कर दिया गया है।
राष्ट्रपति (President) श्री रामनाथ कोविंद ने भी इस बिल पर अपने हस्ताक्षर कर दिये हैं। जिससे नागरिकता संशोधन बिल (CAB) अब कानून बन चुका है।
CAB क्या है? (What is CAB?)
CAB (Citizenship Amendment Bill) यानि नागरिकता संशोधन बिल के तहत नागरिकता अधिनियम 1955 में कुछ बड़े बदलाव किये गये हैं। इस बिल के पास हो जाने के बाद आप इसे नये नागरिकता कानून की शक्ल में हम इसे देखेंगें।
नागरिकता संशोधन बिल के पास होकर कानून बन जाने के बाद अफगानिस्तान(Afghanistan), पाकिस्तान(Pakistan) तथा बांग्लादेश(Bangladesh) से आने वाले हिंदुओं, सिक्खों, बौद्धों, ईसाईयों तथा पारसियों तथा जैनियों को भारत में आसानी से देश की नागरिकता मिलने का रास्ता खुल गया है।
लेकिन इस बिल की सबसे खास बात यह है कि नये नागरिकता (संशोधन) बिल CAB (Citizenship Amendment Bill) से मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोगों को बाहर रखा गया है। यही कारण है कि इसका असम, त्रिपुरा, मणिपुर आदि राज्यों में इसका पुरजोर विरोध किया जा रहा है।
नागरिकता संशोधन बिल CAB (Citizenship Amendment Bill) को कब Pass कराया गया?
CAB क्या है? (What is CAB?)
आपकी जानकारी के लिये यह बताना आवश्यक है, कि पिछले दिनों जो बिल देश की संसद में पारित हुआ है। उसे 19 जुलाई 2016 को पहली बार संसद में पेश किया गया था।
जिसके बाद 12 अगस्त 2016 को CAB को संयुक्त संसदीय समिति को सौंप दिया गया था। संयुक्त संसदीय समिति ने इस साल CAB (Citizenship Amendment Bill) पर अपनी रिपोर्ट जनवरी 2019 को दी थी।
जिसके बाद इस बिल को पुन: 9 दिसंबर 2019 को एक बार फिर संसद में पेश किया गया और बहुमत बल पर्याप्त होने के कारण केंद्र सरकार इसे पास कराने में भी सफल हो गयी।
जिसके बाद इस बिल को राज्यसभा में भी पेश किया गया। इस सदन में भी विपक्षी सांसदों ने इस बिल का खुल कर विरोध (Protest) किया। लेकिन पर्याप्त संख्या बल न होने के कारण नागरिकता संशोधन बिल को राज्यसभा में भी 11 दिसंबर 2019 को पास कर दिया गया।
12 दिसंबर 2019 की रात्रि में भारत के राष्ट्रपति (President) ने भी इस बिल पर हस्ताक्षर करके अपनी मंजूरी दे दी है। जिसके बाद नागरिकता संशोधन बिल CAB (Citizenship Amendment Bill) अब एक कानून का रूप ले चुका है।
नागरिकता संशोधन बिल CAB (Citizenship Amendment Bill) पास हो जाने के बाद विदेशी हिंदुओं को नागरिकता कैसे मिलेगी?
नागरिकता संशोधन बिल CAB (Citizenship Amendment Bill) के तहत जिस प्रकार नागरिकता कानून का स्वरूप बदला गया है। उसके तहत अब नागरिकता प्रदान करने वाले नियमों छूट दी जाएगी।
ऐसे विदेशी नागरिक जो किसी कारण वश अफगानिस्तान(Afghanistan), पाकिस्तान(Pakistan) तथा बांग्लादेश(Bangladesh) से भाग कर भारत आये हैं, और अपने देश वापस जाने के बजाए भारत में ही रह रहे हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता (Indian Citizenship) प्रदान कर दी जाएगी।
पहले के नागरिकता कानून के तहत किसी विदेशी नागरिक को भारतीय नागरिकता (Indian Citizenship) तभी मिलती थी। जब वह भारत में रहने की 11 वर्ष की अवधि पूरी कर लेता था।
लेकिन अब ऐसे विदेशी व्यक्तियों को मात्र 6 साल में भारत की नागरिकता मिल जाएगी। तथा वह यहां के स्थायी निवासी बन जायेंगें। लेकिन इस छूट का लाभ केवल हिंदुओं, सिक्खों, बौद्धों, ईसाईयों तथा पारसियों तथा जैनियों को ही मिलेगा।
CAB (Citizenship Amendment Bill) की कुछ खास बातें –
CAB (Citizenship Amendment Bill) में जिस प्रकार और जो भी बदलाव किये गये हैं, उन्हें लेकर रोष भी जताया जा रहा है। केंद्र सरकार के द्धारा CAB (Citizenship Amendment Bill) में जितने भी संशोधन किये गये हैं। उससे कुछ धर्मों के लोगों को लाभ मिलने वाला है। लेकिन जिन्हें लाभ मिला है, वह अपनी खुशी का इजहार कर रहे हैं।
जिनको लाभ मिल रहा है, लाभ के दायरे में न आने वाले उनका विरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि उनका विरोध इस बात से है कि धर्म विशेष के लोगों को आखिर किस बिना पर इस नागरिकता कानून के दायरे से बाहर रखा गया है।
तो चलिये हम आपको बताते हैं कि आखिर इस नये पारित कानून के अनुसार कौन कौन सी सुविधायें और अधिकार लोगों को मिलने वाले हैं।
CAB क्या है? (What is CAB?)
1: नागरिकता संशोधन विधेयक के जरिये नागरिकता मिलना आसान होगा –
अब अफगानिस्तान(Afghanistan), पाकिस्तान(Pakistan) तथा बांग्लादेश(Bangladesh) नागरिक जिनका संबंध हिंदू, बौद्ध, पारसी, सिक्ख, जैन तथा ईसाई धर्म से होगा उन्हें भारतीय नागरिकता मिलने में असानी होगी।
पहले इन देशों से आये लोगों को भारतीय नागरिकता मिलने में 11-12 वर्ष लग जाते थे। लेकिन अब इन्हें केवल 6 साल में भारतीय नागरिकता मिल जाएगी।
चूंकि इस विधेयक के दायरे से मुस्लिम धर्म के लोग बाहर हैं। इसलिये यह बिल विवादास्पद घोषित हो चुका है और इसीलिये इसका विरोध (Protest) किया जा रहा है।
2: NEW CAB के कारण विदेशी नागरिकों के भारत में रहने की अवधि कम होगी
अब विदेशी नागरिकों को भारत (India) में 12 साल रहने की अवधि पूरी करने की शर्त को Follow नहीं करना पड़ेगा। यदि वह केवल 6 साल (6 year) भारत में रह लेंगें तो उन्हें भारतीय नागरिक (Citizenship) का प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा।
CAB (Citizenship Amendment Bill) Bill सरकार को क्यों लाना पड़ा?
आप सोच रहे होंगें कि सरकार आखिर ऐसा बिल लेकर ही क्यों आई है? जिसकी वजह से पूर्वोत्तर भारत समेत देश के अन्य राज्यों में विरोध प्रर्दशनों से जूझना पड़ रहा है।
CAB (Citizenship Amendment Bill) को लाने के पीछे का एक बहुत कारण NRC का फेल होना माना जा रहा है। आपको यह ध्यान रखना होगा कि कुछ राजनैतिक दल बांग्लादेशी घुसपैठियों तथा पाकिस्तानी घुसपैठियों के नाम पर भोली भाली जनता से वोट हासिल करते रहे हैं।
चूंकि घुसपैठ एक संवेदनशील मुददा है। भारत में घुसपैठ तो होती है, लेकिन इतनी नहीं कि जितना हमारे राजनैतिक दल बढ़ा चढ़ा कर बताते हैं।
पिछले कुछ साल से पूर्वोत्तर भारत के राज्य असम में NRC की प्रक्रिया चल रही थी। जब यह पूरी हुई तो पता चला कि NRC से बाहर हुये मुस्लिमों और हिंदुओं की संख्या काफी ज्यादा है।
भारत में होने वाली बांग्लादेशी, पाकिस्तानी घुसपैठ में कितना सच है?
दोस्तों, अब जब NRC 2019 के तहत जनसंख्या रजिस्टर के आंकड़े आ चुके हैं, तो सच सबके सामने आ चुका है। भारत में राजनैतिक दल घुसपैठियों का सही आंकड़ा जनता के साथ शेयर नहीं करते हैं।
हमें यह भी समझना होगा कि आखिर क्या सिर्फ भारत ही दुनिया का एक मात्र ऐसा राष्ट्र है, जहां घुसपैठ होती है।
जी नहीं, अमेरिका (America) हो या फिर यूरोप(Europe), कोरिया(Korea) हो या फिर अफ्रीकी देश(African Countries)। सभी देश घुसपैठ से पीडि़त होते हैं। कभी कभी घुसपैठ काम धंधें की तलाश के लिये की जाती है, तो कभी इसके राजनैतिक कारण भी होते हैं। लेकिन अन्य देशों में घुसपैठियों से निपटने के लिए कड़े कानून है। लेकिन भारत (India) में ऐसे कानूनों का अभाव है।
जैसे पिछली बार म्यांमार में वहां की सेना ने जिस प्रकार रोहिंग्या मुस्लिमों का दमन किया, तो उन्हें म्यांमार छोड़ कर बांग्लादेश (Bangladesh) तथा भारत (India) में भाग कर आना पड़ा। इस प्रकार की घुसपैठ को शरणार्थी (Refugee) कहा जाता है।
शरणार्थी (Refugee) वह लोग होते हैं, जो अपना देश छोड़ कर दूसरे देश में जाकर शरण की याचना करते हैं। दुनिया के सभी देश शरण मांगनें वालों को शरण देते हैं और मानवता के नाते शरण देनी भी चाहिए।
जब उनके देश में हालात सामान्य हो जाते हैं, तो वहां वह वापस भी चले जाते हैं। लेकिन इसके लिये दोनों देशों की सरकारों को एक साथ मिल कर कई कई साल तक काम करना होता है।
Citizen Amendment Bill का असम, त्रिपुरा तथा मणिपुर आदि राज्यों में विरोध क्यों किया जा रहा है?
Citizen Amendment Bill का सबसे ज्यादा विरोध भारत के पूर्वी राज्यों असम, त्रिपुरा तथा मणिपुर में दिखाई पड़ रहा है। इन राज्यों में जिस प्रकार विरोध किया जा रहा उसकी आग पूरे देश में फैलती हुई दिखाई पड़ रही है।
यही कारण है कि सरकार ने इन इलाकों में इंटरनेट पर रोक लगा रखी है। ताकि देश में कोई अप्रिय घटना घटित न हो।
पूर्वोत्तर भारत के राज्यों समेत देश के अनेक ऐसे राज्य है, जिनका गठन भाषा के आधार पर हुआ है। ऐसे में यदि विदेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी तो वह अपने ही राज्य में अल्पसंख्यक हो जाएंगें।
इसी प्रकार कुछ अन्य राज्यों में Tribal (जनजातियां) आदिम जनजातियों रहती हैं। जिनका उस भूमि पर पहला अधिकार है। ऐसे में विदेशी लोगों के नागरिकता पा लेने के बाद, जनजातियों के इलाकों में उन्हें बसने से रोका नहीं जा सकता है।
जिससे जनजातियों में भी भय है कि उनकी संस्कृति, भाषा तथा रीति रिवाज खतरे में पड़ जाएंगें। यही कारण है कि इस बिल का इन इलाकों में जबरदस्त विरोध किया जा रहा है।
नागरिकता संशोधन बिल CAB (Citizenship Amendment Bill) के बड़े नुकसान
नागरिकता संशोधन बिल CAB (Citizenship Amendment Bill) के बड़े नुकसान आगामी सालों (years) में दिखाई पड़ेंगें। वह कौन से संभावित नुकसान हैं। आइये एक नजर डालते हैं –
दूसरे देशों के लोगों को भारतीय नागरिकता (Indian Citizenship) मिलने से वर्तमान भाषाई बहुलता वाले लोग अल्पसंख्यकों की श्रेंणी में आ सकते हैं।
विदेशियों को भारतीय नागरिकता देने से बोडो, नागा तथा मिजो जैसी जनजातियों की भाषा, संस्कृति तथा रीति रिवाज खतरे में पड़ सकते हैं।
विदेशी नागरिकों को नागरिकता मिलने से उन्हें सरकारी (Government) तथा गैर सरकारी (Private) नौकरियों का लाभ मिलेगा। जिसकी वजह से मूल निवासियों को अपना हिस्सा बांटना होगा।
अतिरिक्त लोगों के आगमन से भूमि पर लोड बढ़ेगा। विशेषकर छोटे राज्यों में।
भाषा और संस्कृति में बड़े बदलाव हो सकते हैं।
CAB संसद में कब पास हुआ?
19 जुलाई 2016 को पहली बार संसद में पेश किया गया था। जिसके बाद इस बिल को पुन: 9 दिसंबर 2019 को एक बार फिर संसद में पेश किया गया और 11 दिसंबर 2019 को पास कर दिया गया। 12 दिसंबर 2019 की रात्रि तक भारत के राष्ट्रपति (President) ने भी इस बिल पर हस्ताक्षर करके इसे कानून बना दिया ।
अब नए नियम के अनुसार कितने टाइम में नागरिकता मिल जाएगी?
पहले किसी देश से आये लोगों को भारतीय नागरिकता मिलने में 11-12 वर्ष लग जाते थे। लेकिन अब इन्हें केवल 6 साल में भारतीय नागरिकता मिल जाएगी।
CAB bill लाने पर भाजपा (B.J.P) का तर्क क्या है?
CAB (Citizenship Amendment Bill) के बारे में इतनी जानकारी प्राप्त करने के बाद आपको यह भी जानना बेहद जरुरी है कि आखिर इस बिल को लाने के पीछे भाजपा (B.J.P) का क्या तर्क है। भाजपा ने अपना तर्क इस तरह रखती है कि भारत के नागरिकों की नागरिकता सम्बन्धी सभी अधिकार पूरी तरह सुरक्षित हैं। यह बिल नागरिकता (Citizenship) देने से सम्बंधित है किसी की नागरिकता छिनने से सम्बंधित नही।
इस बिल के पास होने के बाद दिल्ली समेत अन्य ऐसे सभी जगहों पर जश्न मनाया जा रहा है, जहां शरणार्थियों की संख्या काफी ज्यादा है। जो काफी समय से इस देश में रह रहे हैं। लेकिन इस बिल के बाद मुस्लिमों में संदेह की स्थिति है। जिसके कारण देश(Country) के कई जगहों से विरोध (Protest) प्रदर्शन की ख़बरें आ रही हैं।
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