हनुमान जी युद्ध में किस योगी से हार गए थे? (Hanuman ji lost to which yogi in battle)
हनुमान जी युद्ध में किस योगी से हार गए थे? (Hanuman Ji lost to which yogi in battle)
महाबली हनुमान जी को शायद ही कोई होगा जो न जानता हो हनुमान जी श्री राम जी के परम भक्त और शिव जी का अवतार है हनुमान जी ने अपनी शक्तियों से बहुत से योद्धाओ को हराया है अपनी शक्तियों से ही हनुमान जी ने रावण की सोने की लंका को जला दिया था बाली जैसा महान योद्धा भी हनुमान जी की शक्ति का 5वा भाग भी अपने शरीर में धारण नहीं कर सका था हनुमान जी को कलयुग तक चिरंजीवी (अमर) होने का वरदान प्राप्त है और वह आज भी हम लोगो के ही बीच में कही है|
हनुमान जी को युद्ध में हराना असंभव है क्योकि उनके पास 8 सिद्धिआ और 9 निधियाँ है लेकिन क्या आप जानते है की एक सिद्ध योगी ने हनुमान जी को युद्ध में हरा दिया था|
हनुमान जी युद्ध में किस योगी से हार गए थे?
पौराणिक कथाओ के अनुसार एक बार मछिन्द्रनाथ जी रामेश्वरम में आते है और वहाँ स्वयं श्री राम के द्वारा निर्मित राम सेतु को देखकर वह काफी प्रसन्न हो जाते है और वह श्री राम की भक्ति में लीन होकर समुन्द्र में स्नान करने लगते है उस स्थान पर राम भक्त महाबली हनुमान जी पहले से बूढ़े वानर के रूप में मौजूद होते है और जैसे ही हनुमान जी के मछिन्द्रनाथ जी को देखते है हनुमान जी समझ जाते है की यह कोई सिद्ध योगी है
तब हनुमान जी मछिन्द्रनाथ जी की शक्ति की परीक्षा लेने की सोचते है और हनुमान जी अपनी शक्ति से वहाँ पर जोरदार बारिश करवाने लगते है जब जोरदार बारिश का मछिन्द्रनाथ जी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है तब हनुमान जी अपने बूढ़े वानर के रूप में वहाँ पर स्थित एक बड़े से पहाड़ को खोदने लगते है और जब मछिन्द्रनाथ जी एक बूढ़े वानर को पहाड़ पर प्रहार करते हुए देखते है तब मछिन्द्रनाथ जी उस बूढ़े वानर से कहते है कि हे वानर क्या तुमको यह नहीं पता है की प्यास लगने पर कुआ नहीं खोदा जाता है तुमको बारिश आने से पहले ही अपने सर पर छत का इन्तेजाम कर लेना चाहिए था| यह सुनकर वह बूढ़ा वानर मछिन्द्रनाथ जी से कहता है कि हनुमान जी से श्रेष्ठ और शक्तिशाली योद्धा इस पूरे संसार में कोई भी नहीं है और कुछ समय तक मैने भी उनकी सेवा की थी जिससे प्रसन्न होकर हनुमान जी ने अपनी शक्ति का कुछ हिस्सा मुझे दे दिया था यदि आप इतने शक्तिशाली है तो आप मुझसे युद्ध कीजिये और मुझे युद्ध में पराजित कीजिए वरना स्वयं को योगी कहना छोड़ दीजिये मछिन्द्रनाथ जी वानर की यह चुनौती स्वीकार कर लेते है| और दोनों के बीच युद्ध शुरू हो जाता है |
Also Read: क्या रुक्मिणी और राधा एक ही थी?
हनुमान जी युद्ध में किस योगी से हार गए थे? (Hanuman ji lost to which yogi in battle) |
युद्ध शुरू होते ही हनुमान जी आकाश में उड़ने लगते है और मछिन्द्रनाथ जी पर पहाड़ो और चटानो से वार करते है पहाड़ो और चटानो को अपनी तरफ आता देख मछिन्द्रनाथ जी अपनी मंत्रो की शक्ति का इस्तेमाल करके सभी पहाड़ो और चटानो को आसमान में ही रोक देते है यह देखकर हनुमान जी को क्रोध आ जाता है और हनुमान जी वहाँ स्तिथ सबसे बड़े पर्वत को अपने हाथो में उठाकर मछिन्द्रनाथ जी पर फेकने के लिए आगे बढ़ते है यह देखकर मछिन्द्रनाथ जी अपने बचाओ के लिए हाथो में जल लेकर वाताकर्षण मंत्र का प्रयोग करके जल हनुमान जी के ऊपर फेंक देते है मंत्र की शक्ति के कारण हनुमान जी आसमान में ही स्थिर हो जाते है और उनका शरीर हिलने में असमर्थ हो जाता है मंत्रो के कारण हनुमान जी साड़ी शक्तिया भी कुछ समय के लिए समाप्त हो जाती है जिसके कारण हनुमान जी पर्वत का भार सेह नहीं पाते और पीड़ा से तड़पने लगते है|
यह देखकर हनुमान जी के पिता वायु देव डर जाते है और वहाँ आकर वायु देव जी मछिन्द्रनाथ जी से हनुमान जी को क्षमा करने की प्रार्थना करते है वायु देव की प्रार्थना सुनकर मछिन्द्रनाथ जी हनुमान जी को मंत्रो से मुक्त कर देते है तब हनुमान जी अपने मूल स्वरुप में आ जाते है और मछिन्द्रनाथ जी के सामने हाथ जोड़कर कहते है कि मैं जनता था की आप नारायण के अवतार है फिर भी मैंने आपकी शक्तियों की परीक्षा लेने का प्रयास किया इस अपराध के लिए आप मुझे माफ़ कर दीजिये यह सुनकर मछिन्द्रनाथ जी हनुमान जी को माफ़ कर देते है और वहाँ से चले जाते है|