कोख बंधन के लक्षण और उपाय | Kokh Bandhan

जैसे नेत्र बिना ज्योति के अर्थहीन है वैसे ही शिशु की किलकारीयों से वंचित आंगन शापित स्थान का आभास करवाता है। इकट्ठा किया गया धन और संसार की सभी खुशियां जब तक आपके संतान ना हो तब तक व्यर्थ है संसार के सभी सुख बिना शिशु के बड़े से बड़े महल को भी सुना कर देता है यह ईश्वर की तरफ से दिया गया एक अमूल्य धन है जिसकी कोई कीमत नहीं।
Kokh bandhan कोख बंधन विषय बहुत जटिल है एक लेख के माध्यम से इस विषय को समझा पाना बहुत कठिन है फिर भी इस लेख में मैं आपको बताऊंगा कि अगर किसी स्त्री की कोख बांध दी जाए तो कैसे लक्षण सामान्यतः दिखते हैं उसका निदान क्या है और संतान प्राप्ति के उपाय क्या हैं ।

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कोख बंधन kokh bandhan के लक्षण

  • वर्षो योग्य तक दवा करवाने पर भी संतान सुख की प्राप्ति ना होना।
  • दवा करवाने के बाद भी स्त्री का गर्भ धारण न होना।
  • पैथोलॉजी रिपोर्ट्स का नार्मल आना। लेकिन फिर भी संतान का ना होना।
  • दवा करवाने पर भी मासिक धर्म की अनियमितता ठीक ना होना।
  • पति और पत्नी दोनों के स्वस्थ होने पर भी सन्तान का ना प्राप्त होना।
  • स्त्री को बार बार एक ही सपना आना और गर्भपात हो जाना।
  • स्त्री के अंगों पर भारीपन रहना। पेडू और पेट में बिना किसी कारण के दर्द रहना।

कोख बंधन Kokh bandhan के कारण

Kokh Bandhan कोख बंधन के बहुत से कारण हो सकते है हर केस की अलग कहानी और अलग कारण होते है और उसके इलाज भी अलग अलग जिसके कारण इन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है लिखकर समझा देना बहुत कठिन है। कुछ मुख्यकारण मैं आपको यहां बताने की कोशिश करता हु।

  • शारिरिक बाधा।
  • श्राप का दोष।
  • ग्रह की बाधा।
  • तंत्र की बाधा।
  • ऊपरी बाधा।
  • कोख का बन्धन। Kokh Bandhan

शारिरिक बाधा :-

जब कोई पीड़ित शारिरिक रूप से इस तरह अस्वस्थ हो जिसके केस को चिकित्सक के लिए एक अलग दृष्टिकोण से देखने की जरूरत हो शारिरिक अयोग्यता की श्रेणी में आता है।

श्राप का दोष:-

सभसे ज्यादा केसों में संतान ना होने का कारण यही दोष होता है जब किसी के देवी,देवता, पीर, पितृ रुष्ट हों या किसी भी कारण से इनकी बाधा आये तो इस दोष का निवारण हेतु यत्न करने चाहिए।

ग्रह बाधा:-

जब इस दोष से पीड़ित पति पत्नी की जन्मकुंडली में ग्रह के कारण बनने वाले योग के कारण संतान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न हो रही हो तो ग्रह बाधा की संज्ञा दी जति है।

तंत्र बाधा:-

इस बाधा का सीधा सीधा ये मतलब नही कि पीड़िता को कोख को बांध दिया गया है इसका तातपर्य ये कि कई बार लापरवाही से चलते हुए किसी टोने टोटके को लांघ जाने से भी ये बाधा उत्पन्न हो जाती है।

ऊपरी बाधा:-

जब कोई विवाहित या अविवाहित नवयुवती अधिक सुंदर हो तो कुछ नकारात्मक शक्तियां उनकी ओर आकर्षित हो जाती है और संतान बाधा उत्पन्न कर देती है जैसे कि जिन्न शैतान ख़बीस भूत प्रेत पिचास चुड़ैल डाकिनी इत्यादि।

कोख बंधन:-

तंत्र के षट कर्मो मैं बहुत ही भयानक प्रयोग है लेकिन सारी तंत्र विद्या में ये सबसे घटिया काम है लेकिन षड्यंत्रों से भरे इस संसार में बहुत घटिया से घटिया सोच के लोग मौजूद हैं कोख को बांध देना जितना आसान है उतना ही मुश्किल है उसे खोलना। इसमें काले जादू द्वारा स्त्री की जनन शक्ति को बांध दिया जाता है लेकिन परिश्रमी साधक के लिए कुछ भी असंभव नहीं हो सकता।

।।।उपचार।।।

  • शास्त्रिक विधियों से
  • तांत्रिक विधियों से

शास्त्रिक विधियों से :-

जब उपरोक्त दोषों को हटाया जाता है जैसे कि पुत्रयेष्ठि यज्ञ,संतान गोपाल ,हरिवंश पुराण,दुर्गा सप्तशती या कोई भी पूर्ण शास्त्रिक मर्यादा से किया गया अनुष्ठान जिसमें यजमान ब्राह्मण का पूरा साथ और समय श्रद्धा से दे। फल की प्राप्ति में कोई किंचित मात्र संदेह नहीं रहता।

तांत्रिक विधियों से:-

हमारा प्राचीन तंत्र बहुत बृहद और विशाल है वामाचार से सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है लेकिन तंत्र की गहराईयों को समझना बहुत कठिन है इसमेंसे प्रयोग तब सफल होते है जब उन्हें गुप्त रखा जाए। कुछ तांत्रिक ग्रामीण श्रेणी के होते है उनको इस लेख में लिख पाना संभव नहीं है।

विभिन्न विभिन्न कारणों से हुए कुक्षि बन्धनों का अलग अलग प्रकार से इलाज होता जो लंबे समय तक चलता है। सभसे पहले कारण का निवारण किया जाता है तभी ऐसे केसों में संतान सुख संभव हो सकता है।

संतान प्राप्ति का प्रयोग।

अलग अलग केसों में अलग अलग दोषों का उपचार किया जाता है एवं उपचार की पद्धतियां भी विभिन्न होती है।
कई केसों में एक बार में ही एक छोटा सा टोटका ही काम कर जाता है और कुछ केसों में एक से अधिक अनुष्ठानों का कई बार भी प्रयोग करने पड़ते है। देश काल और नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत और उसका बल ही निर्धारित करता है कि एक प्रयोग ही काफी है या एक से अधिक बार प्रयत्न करना होगा पहले से सभ कुछ निर्धारित नही होता।

इसके अलावा माता का व्रत और जप होता है जिसका निष्ठा एवं श्रद्धा से किया गया प्रयोग एक वर्ष में निःसंतान को संतान की प्राप्ति करवाता है। अगर आपको चाहिए हो तो मुझे बताये …

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