आगम शास्त्र क्या है | Aagam Shastra kya hai

आगम शास्त्र क्या है | Aagam Shastra kya hai
तंत्र शास्त्र चार भागों में विभक्त है।
- आगम
2. यामल
3. डामर
4. तंत्र
प्रथम तथा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आगम ग्रन्थ माने जाते हैं, ये वो ग्रन्थ हैं जो शिव जी तथा पार्वती या सती के परस्पर वार्तालाप के कारण अस्तित्व में आये हैं तथा भगवान विष्णु द्वारा मान्यता प्रदान किये हुए हैं। भगवान शिव द्वारा बोला गया तथा पार्वती द्वारा सुना गया ग्रन्थ आगम नाम से जाना जाता हैं इस के विपरीत पार्वती द्वारा बोला गया तथा शिव जी के द्वारा सुना गया निगम ग्रन्थ के नाम से जाना जाता हैं। इन्हें सर्वप्रथम भगवान विष्णु द्वारा सुना गया हैं तथा उन्हीं से इन ग्रंथो को मान्यता प्राप्त हैं। भगवान विष्णु के द्वारा गणेश को, गणेश द्वारा नंदी को तथा नंदी द्वारा अन्य गणो को इन ग्रंथो का उपदेश दिया गया हैं।
आगम शास्त्र | Aagam Shastra
आगम ग्रंथो के अनुसार शिव जी पंचवक्त्र हैं, अर्थात इन के पाँच मस्तक हैं,
- ईशान
- तत्पुरुष
- सद्योजात
- वामदेव
- अघोर।
शिव जी के प्रत्येक मस्तक, भिन्न भिन्न प्रकार के शक्तिओ के प्रतिक हैं; क्रमशः सिद्धि, आनंद, इच्छा, ज्ञान तथा क्रिया हैं।
भगवान शिव मुख्यतः तीन अवतारों में अपने आप को प्रकट करते हैं
1. शिव
2. रुद्र तथा
3. भैरव,
इन्हीं के अनुसार वे ३ श्रेणिओ के आगमों को प्रस्तुत करते हैं १. शैवागम २. रुद्रागम ३. भैरवागम। प्रत्येक आगम की श्रेणी स्वरूप तथा गुण के अनुसार हैं।
शिवागम Shiv Aagam Shastra:
भगवान शिव ने अपने ज्ञान को 10 भागों में विभक्त कर दिया तथा उन से सम्बंधित १० अगम शिवागम नाम से जाने जाते हैं।
- प्रणव शिव और उनसे सम्बंधित ज्ञान, कमिकागम नाम से जाना जाता है।
- सुधा शिव और उनसे सम्बंधित ज्ञान, योगजगाम नाम से जाना जाता है।
- दीप्त शिव और उनसे सम्बंधित ज्ञान, छन्त्यागम नाम से जाना जाता है।
- कारण शिव और उनसे सम्बंधित ज्ञान, करनागम नाम से जाना जाता है।
- सुशिव शिव और उनसे सम्बंधित ज्ञान, अजितागम नाम से जाना जाता है।
- ईश शिव और उनसे सम्बंधित ज्ञान, सुदीप्तकागम नाम से जाना जाता है।
- सूक्ष्म शिव और उनसे सम्बंधित ज्ञान, सूक्ष्मागम नाम से जाना जाता है।
- काल शिव और उनसे सम्बंधित ज्ञान, सहस्त्रागम नाम से जाना जाता है।
- धनेश शिव और उनसे सम्बंधित ज्ञान, सुप्रभेदागम नाम से जाना जाता है।
- अंशु शिव और उनसे सम्बंधित ज्ञान, अंशुमानागम नाम से जाना जाता है।
रुद्रागम Rudraagam:
रुद्रागम 18 भागों में विभक्त हैं।
- विजय रुद्रागम
- निश्वाश रुद्रागम
- परमेश्वर रुद्रागम
- प्रोद्गीत रुद्रागम
- मुखबिम्ब रुद्रागम
- सिद्ध रुद्रागम
- संतान रुद्रागम
- नरसिंह रुद्रागम
- चंद्रान्शु रुद्रागम
- वीरभद्र रुद्रागम
- स्वयंभू रुद्रागम
- विरक्त रुद्रागम
- कौरव्य रुद्रागम
- मुकुट और मकुट रुद्रागम
- किरण रुद्रागम
- गणित रुद्रागम
- आग्नेय रुद्रागम
- वतुल रुद्रागम
भैरवागम Bhairav Aagam Shastra:
भैरवागम के रूप में, यह 64 भागों में विभाजित किया गया है।
- स्वच्छ
- चंद
- कोर्च
- उन्मत्त
- असितांग
- महोच्छुष्मा
- कंकलिश
- कपाल
- ब्रह्मा
- विष्णु
- शक्ति
- रुद्र
- आथवर्ण
- रुरु
- बेताल
- स्वछंद
- रक्ताख्या
- लम्पटाख्या
- लक्ष्मी
- मत
- छलिका
- पिंगल
- उत्फुलक
- विश्वधा
- भैरवी
- पिचू तंत्र
- समुद्भव
- ब्राह्मी कला
- विजया
- चन्द्रख्या
- मंगला
- सर्व मंगला
- मंत्र
- वर्न
- शक्ति
- कला
- बिन्दू
- नाता
- शक्ति
- चक्र
- भैरवी
- बीन
- बीन मणि
- सम्मोह
- डामर
- अर्थवक्रा
- कबंध
- शिरच्छेद
- अंधक
- रुरुभेद
- आज
- मल
- वर्न कंठ
- त्रिदंग
- ज्वालालिन
- मातृरोदन
- भैरवी
- चित्रिका
- हंसा
- कदम्बिका
- हरिलेखा
- चंद्रलेखा
- विद्युलेखा
- विधुन्मन।
तंत्र के शाक्त शाखा के अनुसार; 64 तंत्र और ३२७ उप तंत्र, यमल, डामर और संहिताये हैं।
वैष्णव संप्रदाय से आगम ग्रंथो का सम्बन्ध | Aagam Shastra in Vaishnva Sampraday
आगम ग्रंथो का सम्बन्ध वैष्णव संप्रदाय से भी हैं, वैष्णव आगम, दो भागों में विभक्त हैं प्रथम बैखानक तथा दूसरा पंचरात्र तथा संहिता। बैखानक एक ऋषि का नाम हैं और उसके नौ छात्र
१. कश्यप २. अत्री ३. मरीचि ४. वशिष्ठ ५. अंगिरा ६. भृगु ७. पुलत्स्य ८. पुलह ९. क्रतु बैखानक आगम के प्रवर्तक थे। वैष्णवो कि पञ्च क्रियाओं के अनुसार पंचरात्र आगम रचे गए हैं।
वैष्णव संप्रदाय द्वारा भगवान विष्णु से सम्बंधित नाना प्रकार की धार्मिक क्रियायों, कर्म जो पाँच रात्रि में पूर्ण होते हैं, का वर्णन वैष्णव आगम ग्रंथो में समाहित हैं। १. ब्रह्मा रात्र २. शिव रात्र ३. इंद्र रात्र ४. नाग रात्र ५. ऋषि रात्र, वैष्णव आगम के अंतर्गत आते हैं। सनत कुमार, नारद, मार्कण्डये, वसिष्ठ, विश्वामित्र, अनिरुध, ईश्वर तथा भरद्वाज मुनि, वैष्णव आगमो के प्रवर्तक थे।