जहां स्त्रियों का अपमान होता है, वह समाज विनाश के रास्ते पर चल रहा होता है।
मैदान को छोड़कर कभी कोई जंग नहीं जीती जाती, लड़ना पड़ता है महाभारत की तरह, कभी अपनों से तो कभी परायों से तो कभी खुद से।
यदि व्यक्ति स्वयं पर अभिमान करने लगता है, तो उसकी भी अंत में दुर्योधन जैसे मौत होती है।
याद रखना यदि बुरे लोग समझाने से समज जाते तो बांसुरी बजाने वाला कभी महाभारत नहीं होने देता।
समस्या का समाधान इस बात पर निर्भर करता है कि हमारा सलहाकार कौन है, यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योकि दुर्योधन सकुनी से सलाह लेता था और अर्जुन श्री कृष्णा से।