भगवान कृष्णा का जन्म मथुरा में हुआ था। उनका बचपन गोकुल, वृन्दावन, नंदगाव, बरसाना आदि जगहों पर बीता।
द्वारिका को उन्होंने अपना निवास स्थान बनाया और सोमनाथ के पास स्थित प्रभास क्षेत्र में उन्होंने देह छोड़ दी।
एक दिन कृष्णा जी इसी प्रभाव क्षेत्र के वन में एक पीपल के वृक्ष के नीचे योग निंद्रा में लेते थे, तभी 'जरा' नामक एक बहेलिये ने भूलवश उन्हें हिरन समझकर विषयुक्त बाण चला दिया
जो कृष्ण जी के पैर के तलवे में जाकर लगा और भगवान श्री कृष्णा ने इसी को बहाना बनाकर देह त्याग दी
जनश्रुति अनुसार श्री कृष्ण ने जब देहत्याग किया तब उनकी देह के केश न तो सफ़ेद थे और ना ही उनके शरीर पर किसी प्रकार की झुरिया पड़ी थी।
कृष्णा जी 119 वर्ष की उम्र में भी युवा जैसे ही थे।